अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 150 से भी अधिक वर्षों तक निष्क्रिय रहने के बाद वर्ष 1991 में सक्रिय होने वाले भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी से एक बार फिर से राख निकलना शुरू हो गया है.
गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था (एनआईओ) के शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी.
सीएसआईआर एनआईओ ने एक बयान में कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी एक बार फिर सक्रिय हो गया है.
बैरन द्वीप पर स्थित ज्वालामुखी पोर्ट-प्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है तथा 150 वर्षों तक निष्क्रिय रहने के बाद वर्ष 1991 में फिर से सक्रिय होने के बाद यह रुक-रुक कर सक्रिय होता रहा है.
अभय मुधोलकर की उपस्थिति में गोवा में स्थित सीएसआईआर राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था (सीएसआईआर- एनआईओ) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह जानकारी दी है कि ज्वालामुखी एक बार फिर सक्रिय हो गया है और इसमें से लावा तथा धुआं निकलने लगा है.
बैरन द्वीप के बारे में:
• बैरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है.
• यह अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से करीब 500 किलोमीटर उत्तर पूर्व में बंगाल की खाडी में स्थित है.
• यह द्वीप लगभग 3 किलोमीटर में फैला है.
• यहां का ज्वालामुखी 28 मई 2005 में फटा था. तब से अब तक इससे लावा निकल रहा है.
• बैरन द्वीप अंडमान द्वीपों में सबसे पूर्वी द्वीप है.
• यह भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी है.
ज्वालामुखी के बारे में:
• ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के अन्दर का गैस, गर्म लावा, राख आदि बाहर आते हैं.
• वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं.
• ज्वालामुखी के द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थल रूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है.
सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी के बारे में:
भूवैज्ञानिकों में सक्रियता को लेकर अगर कोई ज्वालामुखी वर्तमान में फट रहा हो, या उसके जल्द ही फटने की आशंका हो, या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न हों तो उसे सक्रिय माना जाता है.
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