Parliament Winter Session Farm Laws Repeal: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में पास होने के बाद कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को राज्यसभा में भी पास हो गया है. दोनों सदनों में विपक्ष के भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी बिल को पेश किया.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 29 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापसी बिल को पेश किया. संसद का यह सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा थी और इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन तीनों कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?
शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह संसद का एक महत्वपूर्ण सत्र है. देश के नागरिक एक उत्पादक सत्र चाहते हैं. वे उज्जवल भविष्य के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं. सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है, खुली चर्चा करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है.
#WATCH This is an important session of the Parliament. The citizens of the country want a productive session....We are ready to discuss all issues & answer all questions during this session, says PM Narendra Modi ahead of winter session pic.twitter.com/bvZ6JM7LXJ
— ANI (@ANI) November 29, 2021
राकेश टिकैत ने क्या कहा?
लोकसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि जिन 700 किसानों की मृत्यु हुई उनको ही इस बिल के वापस होने का श्रेय जाता है. एमएसपी भी एक बीमारी है. सरकार व्यापारियों को फसलों की लूट की छूट देना चाहती है.
ये थे तीनों कानून?
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अनाज बेच सकते हैं. इस पर किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क और अन्य उपकर हैं.
दूसरे कानून मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण अनुबंध विधेयक 2020 में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का प्रावधान किया गया था. इसमें कृषि व्यापार करने वाली कंपनियों और विक्रेता के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर भविष्य में अपनी फसल बेचने की बात कही गई थी.
तीसरा कानून आवश्यक वस्तु (संशोधन) था. इसमें आलू, प्याज, खाद्य तेल, तिलहन और कुछ अन्य कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तुओं की कैटेगरी से हटाने का प्रावधान किया गया था. इसका मतलब ये है कि इन्हें जितना चाहे स्टॉक किया जा सकता था. कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने के लिए कानून में छूट दी गई थी.
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