First tiger reserve in Bundelkhand: बाघों के संरक्षण के अपने प्रयासों के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र के रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य में पहले बाघ अभयारण्य की स्थापना को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38(v) के तहत रानीपुर टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने की मंजूरी दी.
A critical decision to strengthen the fight to save our tiger population along with the conservation of our wildlife and forest land. The local population will also benefit from the eco tourism opportunities this will generate. #RanipurTigerReserve #Bundelkhand pic.twitter.com/sheyh3ZBr9
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) September 28, 2022
रानीपुर टाइगर रिजर्व:
उत्तर प्रदेश सरकार ने रानीपुर टाइगर रिजर्व को मंजूरी दे दी है. यह टाइगर रिजर्व 52989.863 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा. इसमे 29958.863 हेक्टेयर का बफर जोन होगा और 23031.00 हेक्टेयर का कोर क्षेत्र होगा. कोर क्षेत्र को पहले ही सरकार ने रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दे दी है. साथ ही इसके विकास के लिए रानीपुर टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी. इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चिंकारा, विभिन्न प्रकार के पक्षी और अन्य स्तनधारी जीव निवास कर सकेंगे.
यूपी का चौथा टाइगर रिजर्व:
रानीपुर टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व है, जिसे राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. इसके पहले प्रदेश में तीन टाइगर रिजर्व थे. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत जिले में पीलीभीत टाइगर रिजर्व और बिजनौर में अमनगढ़ टाइगर रिजर्व प्रदेश के तीन अन्य टाइगर रिजर्व है.
बुंदेलखंड क्षेत्र में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा:
इसके विकास से बुंदेलखंड क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण के अतिरिक्त पर्यटन उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा. जिससे इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा. साथ ही साथ बुंदेलखंड क्षेत्र भी प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह पर्यटन के एक केंद्र के रूप में स्थापित होगा. इससे क्षेत्र की पर्यावरण-पर्यटन क्षमता का उपयोग होगा. साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अपार अवसर पैदा होंगे.
प्रोजेक्ट टाइगर:
भारत में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था. यह भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी एक केंद्र प्रायोजित योजना है. इसका उद्देश्य देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को संरक्षण प्रदान करना है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण: इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गयी थी. यह पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है.
भारत में बाघ संरक्षण की स्थिति:
भारत में विश्व के 70% से अधिक बाघों की आबादी निवास करती है. वर्ष 2018 की बाघ संगणना में भारत में बाघों की आबादी में वृद्धि दर्ज की गयी थी. बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के लक्ष्य से चार साल पहले ही भारत इस उपलब्धि को हासिल कर लिया था. मई 2022 तक भारत में कुल 53 टाइगर रिजर्व है.
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