प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 15 मार्च 2017 को नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी प्रदान की. यह एक राष्ट्रीय नीति है जिसके तहत देश के नागरिक विभिन्न रोगों के लिए सरकारी एवं निजी अस्पतालों में निःशुल्क एवं सामान्य व्यय पर इलाज करा सकेंगे.
इस स्वास्थ्य नीति में सभी के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी बताया गया है. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसे सूचना या भोजन के अधिकार की तरह लोगों का अधिकार घोषित नहीं किया जाएगा.
सरकारी योजनाओं के तहत विशेषज्ञ और शीर्ष स्तरीय इलाज में अब निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा. इस योजना के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –
• प्राथमिक चिकित्सा के लिए निःशुल्क सुविधाएं मुहैया कराई जायेंगी. किसी विशेषज्ञ को दिखाने के लिए लोगों के पास सरकारी या निजी अस्पताल में जाने की छूट होगी.
• स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को लोगों के इलाज के लिए तय रकम दी जाएगी.
• स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत किया जायेगा. यह वर्तमान में यह दर 1.04 प्रतिशत है.
• भारत का कोई भी नागरिक जिस भी अस्पताल में चाहे अपना इलाज करवा सकेगा.
• निजी अस्पतालों को इस योजना के साथ जोड़ने पर यह लाभ होगा कि नए ढांचे खड़े करने पर धन व्यय नहीं करना पड़ेगा.
• इस समय देश में डॉक्टर को दिखाने में 80 प्रतिशत और अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 60 प्रतिशत हिस्सा निजी क्षेत्र का है.
• निजी क्षेत्र में इलाज कराने पर लोगों को अपनी जेब से खर्च उठाना पड़ता है लेकिन नई नीति के तहत सरकार यह खर्च उठाएगी.
• स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर भी जोर दिया जायेगा. विभिन्न प्रमुख बीमारियों को देश से समाप्त करने हेतु समय सीमा तय की गयी है.
• प्रस्ताव के अनुसार, जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण से अलग किया जाएगा और इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) परियोजना में प्राइवेट पार्टी को भी शामिल किया जाएगा.
• राज्यों के लिए इस नीति को मानना अनिवार्य नहीं होगा लेकिन सरकार की नई नीति एक मॉडल के रूप में उन्हें सौंपी जाएगी तथा इसे लागू करना उन पर निर्भर होगा.
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