चीन इस सप्ताह चंद्रमा से चट्टानों को लाने के लिए एक मानव रहित अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतारने के लिए तैयार है. यह वर्ष 1970 के दशक के बाद, पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह से नमूने प्राप्त करने के लिए दुनिया के किसी भी देश द्वारा किया गया पहला प्रयास होगा.
चंद्रमा की प्राचीन चीनी देवी के नाम पर, चांग'ते - 5 प्रोब चंद्रमा से सामग्री एकत्र करने की कोशिश करेगा. यह सामग्री वैज्ञानिकों को चंद्रमा की उत्पत्ति और सतह के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने और समझने में मदद करेगा.
अगर चीन अपने इस मिशन में सफल हो जाता है, तो दशकों पहले किये गये सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रयासों के बाद, चीन चंद्रमा से सैंपल लाने वाला तीसरा देश बन जाएगा. यह मिशन अंतरिक्ष से नमूने प्राप्त करने के लिए चीन की क्षमता का भी परीक्षण करेगा.
चीन वर्ष 2030 तक मंगल से नमूने प्राप्त करने की योजना भी बना रहा है. जुलाई 2020 में, चीन ने मंगल ग्रह पर भी मानव रहित परिक्षण शुरू किया था.
चीन की चांग'ए - 5 प्रोब के बारे में: मुख्य विवरण
- चंद्रमा पर चीन का यह मानव रहित अंतरिक्ष यान, जो आने वाले दिनों में भेजा जाने वाला है, एक बड़े लावा मैदान के ऐसे क्षेत्रों से 2 किलो (4½ पाउंड) नमूनों को इकट्ठा करने का प्रयास करेगा, जहां इससे पहले कोई भी नहीं गया है. इस लावा के मैदान को 'ओशनस प्रोसेलरम' या 'तूफानों का महासागर' के नाम से भी जाना जाता है.
- एक बार जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में होगा, तो इसका उद्देश्य सतह पर एक जोड़ी वाहन तैनात करना होगा.
- अगर यह प्रक्रिया सफल होती है, तो चंद्रमा से हासिल किये गये इन नमूनों/ सैंपलों को रिटर्न कैप्सूल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा जो बाद में इन्हें पृथ्वी पर वापिस ले आएगा.
भावी अन्वेषण के लिए चीन के इस मिशन का क्या महत्व है?
चीन का चांग'ई- 5 मिशन ऐसे कई सवालों के जवाब खोजने में मदद कर सकता है जैसेकि, चंद्रमा की आंतरिक सतह कितने समय तक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय रही और सूर्य के विकिरण से किसी भी जीवन की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण - इसका चुंबकीय क्षेत्र कब नष्ट हो गया.
चंद्रमा पर चीन के पूर्व एवं भावी अभियानों के बारे में जानकारी
वर्ष 2013 में, चीन ने अपनी पहली चंद्र लैंडिंग की थी और जनवरी 2019 में, चीन की चांग - 4 प्रोब ने चंद्रमा के दूर के क्षेत्र को स्पर्श किया था, जो किसी भी देश की अंतरिक्ष जांच द्वारा पहली बार किया गया था.
चीन, अगले दशक की समयावधि के भीतर, दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में अपने मानव रहित अन्वेषण के लिए एक रोबोट बेस स्टेशन स्थापित करने की योजना भी बना रहा है.
अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा चंद्रमा से चट्टान के सैंपल लाने के पूर्व प्रयास
वर्ष 1959 में, चूंकि चंद्रमा पर सोवियत संघ का लूना - 2 क्रैश हो गया था, जो एक अन्य खगोलीय पिंड तक पहुंचने वाली पहली मानव निर्मित वस्तु भी थी. दुनिया के कुछ अन्य मुट्ठी भर देशों में भारत और जापान भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने चंद्र मिशन लॉन्च किए हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका के अपोलो कार्यक्रम में, जिसने पहली बार पुरुषों को चंद्रमा पर भेजा था, देश ने 1969 से 1972 तक छह उड़ानों में 12 अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारा था, जो मिट्टी और चट्टानों के 382 किलोग्राम (842 पाउंड) लेकर पृथ्वी पर लाए थे.
वर्ष 1970 के दशक में, सोवियत संघ ने तीन सफल रोबोटिक सैंपल रिटर्न मिशन चंद्रमा पर भेजे थे. वर्ष 1976 में, अंतिम मिशन, लूना 24 मैरी क्रिसियम या ’सी ऑफ क्राइसिस’ से सैंपलों का 170.1 ग्राम (6 औंस) पृथ्वी पर लाया था.
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