वयस्क और शिशु हाथियों का एक झुंड सुबह की रोशनी में अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत के रूप में दिखाई देता है, जोकि तंजानिया में माउंट किलिमंजारो है और यह अपनी पिछली तरफ दिखने वाली बर्फ के साथ सबसे ऊंचा पर्वत है, जिसे दक्षिणी केन्या में अंबोसेली नेशनल पार्क से देखा जा सकता है.
इन दिनों पृथ्वी पर होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण, अगले दो दशकों में अफ्रीका के दुर्लभ ग्लेशियर्स गायब हो जाएंगे, एक नई रिपोर्ट ने मंगलवार को इस महाद्वीप के लिए दर्द के व्यापक पूर्वानुमानों के बीच यह चेतावनी दी है. अफ्रीका का ग्लोबल वार्मिंग में काफी कम योगदान है लेकिन इससे सबसे अधिक पीड़ित यह महाद्वीप ही होगा.
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के बारे में
विश्व मौसम विज्ञान संगठन और अन्य एजेंसियों की यह रिपोर्ट, स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले जारी की गई है. यह सम्मेलन 31 अक्टूबर, 2021 से शुरू हो रहा है. यह एक गंभीर संकेत है कि अफ्रीका के 1.3 बिलियन लोग "बेहद संवेदनशील" रहते हैं क्योंकि यह महाद्वीप निरंतर अधिक गर्म हो रहा है, और वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है. हालांकि, अफ्रीका के 54 देश वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 4% से भी कम उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन और अन्य एजेंसियों की लेटेस्ट रिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण बिंदु
यह नई रिपोर्ट आने वाले तीव्र और व्यापक परिवर्तनों के प्रतीक के रूप में युगांडा में माउंट किलिमंजारो, माउंट केन्या और रवेनज़ोरी पर्वत के सिकुड़ते ग्लेशियरों पर सटीक विवरण प्रस्तुत करती है. इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, "इन ग्लेशियर्स की वर्तमान पिघलने की दर वैश्विक औसत से अधिक है. अगर यह क्रम जारी रह, तो ये ग्लेशियर्स वर्ष, 2040 के दशक तक पूरी तरह से विघटित हो जायेंगे”.
WMO के महासचिव, पेटेरी तालास ने मंगलवार को एक लॉन्च के अवसर पर यह कहा कि, बड़े पैमाने पर विस्थापन, भूख और लगातार बढ़ते हुए जलवायु के झटके जैसेकि, सूखे और बाढ़ भविष्य में और अधिक खतरनाक हो सकते हैं, और फिर भी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में जलवायु डाटा की उपलब्धि में कमी लाखों लोगों के लिए आपदा चेतावनियों पर "एक बड़ा प्रभाव डाल रही है".
भारत और ब्रिटेन ने बनाई स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन अभियान की योजना
इसी तरह, दक्षिण सूडान के कुछ हिस्सों में लगभग पिछले 60 वर्षों से सबसे भीषण बाढ़ें आ रही हैं.
आगे आने वाले समय में अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन के दुस्प्रभाव को रोकने की लागत बहुत बड़ी है. WMO के तालस ने यह कहा कि, "कुल मिलाकर, अफ्रीका को अपनी (राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं) को लागू करने के लिए वर्ष, 2030 तक शमन और अनुकूलन में 03 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी, जिसमें सशर्त वित्त के महत्त्वपूर्ण, सुलभ और अनुमानित प्रवाह की आवश्यकता होगी."
"अफ्रीका महाद्वीप के जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने की लागत, ग्लोबल वार्मिंग को 02 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद वर्ष, 2050 तक बढ़कर 50 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी."
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