भारतीय तट रक्षक के महानिदेशक राजेन्द्र सिंह ने 21 दिसंबर 2017 को गोवा में छह 105एम अपतटीय निगरानी जहाज (ओपीवी) की श्रृंखला में छठा भारतीय तट रक्षक जहाज सुजय जलावातरित किया.
सुजय का अर्थ
सुजय का अर्थ है ‘महान विजय’. यह भारतीय तट रक्षक की इच्छाशक्ति और संकल्प को अभिव्यक्त करता है. देश के समुद्री हित की सेवा और रक्षा के लिए जहाज ओडिशा के पारादीप में कमांडर तट रक्षक क्षेत्र (उत्तर-पूर्व) के संचालन और प्रशासनिक नियंत्रण में है.
एक सौ पांच मीटर के इस अपतटीय जहाज का डिजाइन और निर्माण स्वदेशी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है जहाज में अत्याधुनिक नौवहन तथा संचार उपकरण, सेंसर तथा मशीनरी लगी है. इसकी विशेषताओं में 30एमएम सीआरएम 91 नेवल गन, एकीकृत ब्रिज प्रणाली (आईबीएस), एकीकृत मशीनरी नियंत्रण प्रणाली (आईएमसीएस), विद्युत प्रबंधन प्रणाली (पीएमएस) तथा उच्च शक्ति की अग्निशमन प्रणाली शामिल है. यह जहाज इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि एक दोहरे इंजन का हल्का विमान तथा पांच उच्च गति के बोट कार्य कर सकें. त्वरित बोर्डिंग संचालन खोज और बचाव, कानून लागू करने और समुद्री निगरानी के लिए शामिल बोटों में 2 क्विक रिएक्शन पवन बोट शामिल हैं. जहाज समुद्र में तेल बिखराव को नियंत्रित रखने के लिए प्रदूषण अनुक्रिया उपकरण ले जाने में सक्षम है.
आईसीजीएस सुजय की विशेषताएं
जहाज का वजन 2350 टन (जीआरटी) है और इसमें 9100 केवी के दो डीजल इंजन हैं.
इसकी अधिकतम गति 23 नोटिकल माइल है और यह सामान्य गति से 6000 नोटिकल माइल तक जा सकता है.
निरंतरता और आधुनिक उपकरण तथा प्रणालियों से लैस यह जहाज तट रक्षक के सभी कर्तव्यों को पूरा करने में कमान प्लेटफार्म की भूमिका निभाने में सक्षम है.
पारादीप में तटरक्षक बेड़े मेंशामिल होने के बाद जहाज की तैनाती ईईजेड निगरानी तथा भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए तटरक्षक चार्टर में दिए गए कर्तव्यों के लिए की जाएगी.
अभी भारतीय तट रक्षक के बेड़े में 134 जहाज और बोट हैं तथा 66 जहाज और बोट देश के विभिन्न शिपयार्डों में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं.
आईसीजीएस सुजय की कमान डिप्टी इंसपेक्टर जनरल योगिन्दर ढाका संभाल रहे हैं और इसमें 12 अधिकारी तथा 94 स्टाफ हैं.
टिप्पणी
आईसीजीएस सुजय के कमीशन किये जाने से विभिन्न समुद्री कार्यों के निष्पादन में भारतीय तट रक्षक की संचालन क्षमता में वृद्धि होगी. अत्याधुनिक ओपीवी शामिल किए जाने से पूर्वी समुद्री क्षेत्र तथा विशेष कर ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल की सुरक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा.
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