भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मई 2016 में अपने 5 सहयोगी बैंकों तथा नवगठित भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) के खुद में विलय के लिए सरकार से अनुमति मांगी. अगर इस मांग को सरकार द्वारा मन ली जाती है तब इससे सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र में एकीकरण की प्रक्रिया का प्रारंभ माना जायेगा, जो भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश के बैंकिंग व्यवस्था के सुदृढ़ एवं केंद्रीकृत स्वरूप को प्राप्त करने में सहायक होगा.
भारतीय स्टेट बैंक के अनुसार, केंद्र सरकार से अनुषंगी बैंकों के साथ विलय के लिए 'सैद्धान्तिक मंजूरी' की मांग बैंक द्वारा की गई है. इसके अलावा एसबीआई ने भारतीय महिला बैंक के खुद में विलय के लिए भी मंजूरी मांगी है. इस प्रस्ताव के तहत एसबीआई इन बैंकों का कारोबार, परिसंपत्तियों तथा देनदारियों का अधिग्रहण करेगा.
भारतीय स्टेट बैंक ने अनुषंगी बैंकों के साथ विलय के लिए 'सैद्धान्तिक मंजूरी' की मांग के साथ ही यह कहा है कि यह फैसला शुद्ध रूप से अभी संभावना के स्तर पर है और इन अधिग्रहणों को पूरा करने को लेकर कोई निश्चितता नहीं है. बेहतर तरीके से कामकाज के संचालन जिससे पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके, की वजह इस फैसले के पीछे है. एसबीआई के अनुसार, अभी तक एक या अधिक अधिग्रहण के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है. इस पर निर्णय बैंक के निदेशक मंडल क्षरा सभी पहलुओं को देखने के बाद किया जाएगा. यदि इस विलय प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तब एसबीआई की बहीखाता बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा, जो अभी 28 लाख करोड़ रुपये है.
विदित हो कि इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक के पांचों सहायक बैंकों के निदेशक मंडलों ने अपनी बैठक में अपने मातृ संगठन एसबीआई के साथ विलय का प्रस्ताव किया. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के पांच सहायक बैंकों में- स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर तथा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद शामिल हैं. इनमें से स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर सूचीबद्ध हैं. एसबीआई ने सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र को वर्ष 2008 में खुद में मिलाया था. उसके बाद 2010 में उसने स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का विलय किया था.
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