1 जून 2016 को केंद्रीय कॉरपोर्ट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के संविधान को तत्काल प्रभाव से अधिसूचित कर दिया.
सुप्रीमकोर्ट के जज (सेवानिवृत्त) जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय को एनसीएलएटी का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि जस्टिस एमएम कुमार, जज (सेवानिवृत्त) को एनसीएलटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
आरंभ में एनसीएलटी की ग्यारह शाखाएं होंगी, दिल्ली में दो और अहमदाबाद, इलाहाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में एक-एक.
एनसीएलटी के संविधान बनने के साथ ही कंपनी अधिनियम 1956 के तहत गठित कंपनी विधि बोर्ड (सीएलबी) को भंग कर दिया गया.
एनसीएलटी और एनसीएलएटी दोनों ही को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत बनाया गया है जिसने कंपनी अधिनियम 1956 का स्थान लिया है. अधिनियम 12 सितंबर 2013 से प्रभावी है.
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी)
एनसीएलटी कंपनी अधिनियम 2013 या किसी अन्य कानून के माध्यम से उसे दी गईं शक्तियों और कार्यों को करेगा एवं उनका निर्वहन करेगा.
इसका अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होगा जो उच्च न्यायालय का जज हो या पांच वर्षों तक इस पद पर रह चुका हो.
न्यायिक सदस्य के तौर पर कोई व्यक्ति नियुक्त किए जाने के योग्य तब तक नहीं होगा जब तक कि–
क) उच्च न्यायालय का जज हो, या रह चुका हो, या
ख) कम-से-कम पांच वर्षों से जिला जज हो या तक रह चुका हो, या
ग) एक अदालत में बीते दस वर्षों से वकील हो.
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी)
एनसीएलएटी का गठन न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों के खिलाफ की जाने वाली अपील की सुनवाई के लिए किया गया है.
क) इसका अध्यक्ष वह व्यक्ति होगा जो सुप्रीम कोर्ट का जज हो या पूर्व जज रह चुका हो या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो.
ख) न्यायिक सदस्य वह व्यक्ति होगा जो उच्च न्यायालय का जज हो या रह चुका हो या न्यायाधिकरण का पांच वर्षों से न्यायिक सदस्य हो.
ग) एक तकनीकी सदस्य वह व्यक्ति होगा जिसने क्षमता और ईमानदारी सिद्ध की हो और जिसे कानून, औद्योगिक वित्त, औद्योगिक प्रबंधन या प्रशासन, औद्योगिक पुनर्निर्माण, निवेश, एकाउंटेंसी, मजदूर मामले या प्रबंधन से संबंधित ऐसे अन्य विषयों, मामलों, पुनरुद्धार, पुनर्वास और कंपनियों के समापन के प्रबंधन में विशेष ज्ञान और पच्चीस वर्षों से कम का अनुभव न हो.
एनसीएलटी के अध्यक्ष और एनसीएलएटी के अध्यक्ष एवं न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद ही की जाएगी.
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