पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने 06 नवम्बर 2017 को कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से जूझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. पर्यावरण मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में कहा की भारत जलवायु परिवर्तन को ‘प्रमुख खतरा’ मानता है.
भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत की तुलना में महज एक तिहाई है और मौजूद कार्बन डाई-ऑक्साइड में भारत का योगदान तीन फीसदी से भी कम है फिर भी वह नई पहल कर रहा है. भारत ने सम्मेलन के पहले दिन क्योटो प्रोटोकॉल के दूसरे प्रतिबद्धता काल के जल्द-से-जल्द अनुमोदन का आह्वान किया.
भारत 2047 तक उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था होगा: विश्व बैंक
भारत जलवायु परिवर्तन को सामूहिक कल्याण के लिए एक बड़ा खतरा मानता है और इसे मुकाबला करने में सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाता है. यह सम्मेलन 6 नवंबर से 17 नवंबर 2017 तक आयोजित किया जाएगा.
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत अपने जलवायु परिवर्तन कार्यों में महत्वाकांक्षी रहा है और अपेक्षा करता है कि इक्विटी और आम लेकिन विभिन्न जिम्मेदारियों के आधार पर अन्य देशों की ऐतिहासिक जिम्मेदारी के आधार पर महत्वाकांक्षी हो.
पृष्ठभूमि:
संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) को 195 पार्टियों द्वारा 12 दिसंबर 2015 को अपनाया पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को रोकने और इसे दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है.
वर्ष 2020 के एजेंडे के तहत, विकसित देशों ने क्योटो प्रोटोकॉल (केपी II) की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने और अपने महत्वाकांक्षा को बढ़ाने हेतु विकासशील देशों को वित्त और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए अनुमोदन देना है.
चीन और भारत जैसे देशों ने पेरिस समझौते से सबसे ज्यादा लाभान्वित किया है. जलवायु परिवर्तन पर समझौता अमेरिका के लिए अनुचित है क्योंकि इसके व्यापार और नौकरियों को बुरी तरह से मारा गया है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation