दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के स्तर पर हाल ही में जारी हुई शोध रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में वायु प्रदूषण के कारण 14,800 लोगों की मौत हुई थी. यह रिपोर्ट एल्सवीयर प्रोसेस सेफ्टी एंड एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन जर्नल में प्रकाशित हुई है.
इस शोध के लिए भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से काम किया है. शोधकर्ताओं के अन्सुअर वर्ष 2016 में पीएम 2.5 (वायु गुणवत्ता सूचकांक) से संबंधित मौत का आंकड़ा दिल्ली में 14,800 तक पहुंच गया था.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• एल्सीवियर प्रोसेस सेफ्टी और एनवायरमेंट प्रोटेक्शन पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण से संबंधित अधिकतर मौतें प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 होने पर होती हैं.
• प्रदूषण का यही स्तर दिल्ली, सिंगापुर और शंघाई में पाया गया.
• इस अवधि में चीन के बीजिंग शहर में 18,200, शंघाई में 17,600 और दिल्ली में 14,800 लोगों की मौत हुई.
• चीनी शहरों में उच्च मृत्यु दर मापी गई है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से इसकी जनसंख्या दिल्ली से कम है.
• चीन में बुजुर्ग लोगों की संख्या दिल्ली जैसे शहरों की तुलना में अधिक है. यह लोग प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
• वर्ष 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक बीजिंग की जनसंख्या 2.2 करोड़ और दिल्ली की 1.8 करोड़ है.
भारतीय संदर्भ में रिपोर्ट |
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पीएम 2.5 और पीएम 10 क्या होता है?
पीएम का अर्थ है पार्टिकुलेट मैटर. प्रदूषण मापने के लिए इसकी संख्या में वृद्धि को मापा जाता है. वायु में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम 10 की मात्रा 100 होने तक हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है. पिछले दिनों दिल्ली में पीएम 10 का स्तर 600 के आसपास था जिससे शहर की हवा को सांस लेने के लिए बेहद हानिकारक माना जा रहा था.
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला बेहद छोटा पदार्थ है जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है तो इससे धुंध जैसी स्थिति बन जाती है. इसी प्रकार, पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं जो कि बेहद छोटे कण होते हैं, इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं.
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