पश्चिम बंगाल सहित देश में पांचवें दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी

Jun 15, 2019, 10:27 IST

दिल्ली में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अल्टीमेटम दिया है. देश के 19 से ज्यादा राज्यों के डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन किया है.

AIIMS Doctors on strike
AIIMS Doctors on strike

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल 15 जून 2019 को भी जारी है. पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से मारपीट के बाद शुरू हुई हड़ताल का प्रभाव बंगाल से लेकर दिल्ली तक देखने को मिल रहा है. देश के 19 से ज्यादा राज्यों के डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन किया है.

दिल्ली में एम्स सहित 18 से अधिक बड़े अस्पतालों के लगभग 10 हजार डॉक्टरों ने हड़ताल का एलान किया था. दिल्ली में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अल्टीमेटम दिया है.

क्या है मामला?

10 जून 2019 को कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भीड़ द्वारा दो डॉक्टरों पर जानलेवा हमला किया गया था. इस हमले में एक डॉक्टर के सिर पर गंभीर चोट आई जबकि दूसरे को बुरी तरह पीटा गया था. इसी मामले के विरोध में सहकर्मियों द्वारा प्रदर्शन किया गया, जिसमें धीरे-धीरे पूरे देश के डॉक्टर जुड़ते चले गये और यह एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का रूप बन गया.  

देश भर में डॉक्टर हड़ताल पर

•    दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का एक अल्टीमेटम जारी किया है. उनका कहना है कि सरकार विफल रहती है तो हम एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे.
•    जम्मू-कश्मीर डॉक्टर्स कोऑरडीनेशन कमेटी के द्वारा जारी जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लेह रीजन के सभी अस्पतालों में 15 जून सुबह 10 बजे से 12 बजे तक दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल रहेगी.
•    बिहार स्वास्थ्य सेवा के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर रहे. उन्होंने डॉक्टरों पर किये गये जानलेवा हमले का विरोध किया.
•    मध्य प्रदेश में भोपाल के बड़े अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर रहे. डॉक्टरों ने ओपीडी में जाने से मना किया तथा मरीजों को खासी परेशानी रही.
•    छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. यहां के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने नारेबाजी की और ओपीडी में नहीं गये.

डॉक्टरों पर हमलों के पिछले मामले

वर्ष 2013 और 2014 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एम्स में कार्यस्थल पर हिंसा के 32 मामले दर्ज किए गए थे. अधिकतर मामलों में पहले हमले का शिकार नर्सें हुईं हैं. एम्स में दो साल के दौरान नर्सों पर हमले के 16 और डॉक्टरों पर हमले के 8 मामले दर्ज किये गये. कैजुअल्टी वॉर्ड में सबसे अधिक 38 प्रतिशत मामले सामने आए हैं. वहीं ओपीडी में 31 और वॉर्डों में 22 प्रतिशत हमले के मामले देखे गए. लगभग 4 फीसदी मामलों में मौखिक चेतावनी देकर बात खत्म हो गई जबकि 3 प्रतिशत मामलों में इलाज बंद किया गया. इनमें केवल 2 प्रतिशत मामलों में पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई थी.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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