रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 22 फरवरी 2021 को स्वदेशी तकनीक से निर्मित एवं डिजाइन वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का दो सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल सिस्टम दुश्मन के हथियारों के करीब आने पर निष्क्रिय करने में समर्थ है.
भारत में ही विकसित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का दो बार सफल परीक्षण किया गया. डीआरडीओ ने बताया कि बिल्कुल पतली मिसाइल किसी भी आकाशीय खतरे को कम दूरी में समाप्त करने में सक्षम है और इसे नौसेना में शामिल किया जाएगा.
डीआरडीओ ने कहा कि 22 फरवरी 2021 को चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से जमीन से मोबाइल लॉन्चर के जरिये इसका परीक्षण किया गया. उन्होंने कहा कि मिसाइल को लॉन्च करने से लेकर बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य को भेदने तक कई रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक यंत्रों से इसकी निगरानी की गई.
राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई दी
मिसाइल सिस्टम वीएल-एसआरएसएएम के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई दी है. डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने भी वीएल-एसआर एसएएम प्रणाली का सफल परीक्षण करने वाले दल को बधाई दी.
यह परीक्षण क्यों किया गया
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि वर्टिकल लॉन्च की क्षमता को परखने के लिए ये परीक्षण किए गए. इस तरह का यह पहला टेस्ट था. दोनों ही परीक्षणों में मिसाइल ने सफलतापूर्वक एवं पूरी सटीकता के साथ लक्ष्यों पर निशाना साधा. मिसाइल का परीक्षण न्यूनतम एवं अधिकतम रेंज के लिए किया गया. परीक्षण के दौरान वीएल-एसआरएसएएम के साथ वीपन कंट्रोल सिस्टम (डब्ल्यूसीएस) को भी लगाया गया था.
पृष्ठभूमि
डीआरडीओ लगातार उन्नत किस्म की मिसाइलें विकसित कर रहा है. पिछले महीने 25 जनवरी को ओडिशा के तट से आकाश एनजी का सफल प्रक्षेपण किया गया था. डीआरडीओ के अनुसार आकाश-एनजी एक नई पीढ़ी की सरफेस-टू-एयर मिसाइल है, जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना हवाई खतरों को रोकने के लिए करती है. परीक्षण के दौरान मिसाइल के कमांड कंट्रोल सिस्टम, एवियोनिक्स, एरोडायनैमिक सिस्टम सभी ने ठीक काम किया.
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