राज्यों के बीच आपसी माल परिवहन के लिए बनाई गई ई-वे बिल प्रणाली 15 अप्रैल 2018 से पांच राज्यों में आरंभ की गई. इन राज्यों में आंध्रप्रदेश, गुजरात, केरल, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.
वित्त मंत्रालय के अनुसार इससे इन राज्यों में व्यापार और उद्योगों को सुविधा होगी और पूरे देश में एक समान ई-वे बिल प्रणाली में मदद मिलेगी. मंत्रालय द्वारा व्यापार और उद्योगों तथा ट्रासंपोर्टरों से ई-वे बिल पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिये कहा गया है. मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार ई-वे बिल प्रणाली के तहत अब तक 63 लाख से अधिक ई-बिल जारी किये जा चुके हैं.
ई-वे बिल, दरअसल एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक बिल है जिसे जीएसटी नेटवर्क पर अपडेट किया जायेगा. इसी ऑनलाइन बिल को ई-वे बिल कहते हैं. पुरानी टैक्स व्यवस्थाओं में भी माल परिवहन के लिए कागज पर बिल बनता रहा है जिसे रोड परमिट कहा जाता था लेकिन अब जीएसटी के तहत ऑनलाइन बिल बनेगा और इसे ई-वे बिल के नाम से जाना जायेगा.
ई-वे बिल से जुड़े प्रमुख तथ्य
• सरकार ने एक राज्य से दूसरे राज्य में 50,000 रुपए से ज्यादा के माल के आवागमन के लिए एक अप्रैल से इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-वे बिल प्रणाली को लागू किया है.
• यह 1 से 15 दिन तक मान्य होगा. इसमें वैलेडिटी वस्तु ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा.
• 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-वे बिल बनेगा, जबकि 100 से 300 किलोमीटर की दूरी के लिए 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर की दूरी के लिए 10 दिन तथा 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-वे बिल बनेगा.
• किसी एक राज्य के भीतर अगर 10 किलोमीटर के दायरे में माल भेजा जा रहा है तो उसके लिए ई-वे बिल बनाने की जरूरत नहीं होगी.
• ई-वे बिल की वैधता वाली समय सीमा के अंदर माल की ढुलाई पूरी करना आवश्यक होगा. यदि किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर से ई-वे बनवाना होगा.
टिप्पणी
ई-वे बिल एक तरह का परमिट है जो यह जानकारी देता है कि तय कीमत का माल पूरी तरह से कर चुकाने के बाद एक जगह से दूसरे जगह पर कानूनी तरीक से ले जाया जा रहा है. इसका इस्तेमाल एक ही बार हो सकेगा. ई-वे बिल सिस्ट म से देश में एक जगह से दूसरी जगह सामान की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी.
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