ई-कचरा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया

ई-कचरा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक में उत्‍पादक जवाबदेही विस्‍तार ईपीआर की व्‍यवस्‍थाओं को पुनः परिभाषित किया गया है और इसके तहत हाल में बिक्री शुरु करने वाले ई-उत्‍पादकों के लिए ई-कचरा संग्रहण के नए लक्ष्‍य निर्धारित किए गए हैं.

Mar 26, 2018, 10:34 IST
e-waste management amendments bill 2018
e-waste management amendments bill 2018

केंद्र सरकार ने देश में ई-कचरे के पर्यावरण अनुकूल प्रभावी प्रबंधन के लिए ई-कचरा नियमों में संशोधन किया है. नियमों में बदलाव देश में ई-कचरा निबटान को सुव्‍यवस्‍थित बनाने के लिए ई-कचरे के पुनर्चक्रण या उसे विघटित करने के काम में लगी इकाइयों को वैधता प्रदान करने तथा उन्‍हें संगठित करने के उद्देश्य से किया गया है.

नियमों में बदलाव के तहत उत्‍पादक जवाबदेही विस्‍तार ईपीआर की व्‍यवस्‍थाओं को पुनः परिभाषित किया गया है और इसके तहत हाल में बिक्री शुरु करने वाले ई-उत्‍पादकों के लिए ई-कचरा संग्रहण के नए लक्ष्‍य निर्धारित किए गए हैं.

ई-कचरा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम-2018 की मुख्‍य बातें

  
•    ई-कचरा संग्रहण के नए निधारित लक्ष्य 01 अक्तूबर 2017 से प्रभावी माने जाएंगे. विभिन्न चरणों में ई-कचरे का संग्रहण लक्ष्य 2017-18 के दौरान उत्पन्न किए गए कचरे के वजन का 10 फीसदी होगा जो 2023 तक प्रतिवर्ष 10 फीसदी के हिसाब से बढ़ता जाएगा.

•    वर्ष 2023 के बाद यह लक्ष्य कुल उत्पन्न कचरे का 70 फीसदी हो जाएगा.

•    यदि किसी उत्पादक के बिक्री परिचालन के वर्ष उसके उत्पादों के औसत आयु से कम होंगे तो ऐसे नए ई-उत्पाकों के लिए ई-कचरा संग्रहण के लिए अलग लक्ष्य निर्धारित किए जायेंगे.

•    उत्पादों की औसत आयु समय-समय पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी.

•    हानिकारक पदार्थों से संबधित व्यवस्थाओं (आरओच) के तहत ऐसे उत्पादों की जांच के खर्च सरकार वहन करेगी यदि उत्पाद आरओएच की व्य‍वस्थओं के अनुरूप नहीं हुए तो उस हालत में जांच का खर्च उत्पादक को वहन करना होगा.

•    उत्पादक जवाबदेही संगठनों को नए नियमों के तहत कामकाज करने के लिए खुद को पंजीकृत कराने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष आवेदन करना होगा.

•    22 मार्च, 2018 को अधिसूचना जीएसआर 261 (ई) के तहत ई-वेस्ट प्रबंधन नियम 2016 को संशोधित किया गया है.

 

 

ई-कचरा क्या है?

जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लम्बे समय तक प्रयोग करने के पश्चात उसको बदलने/खराब होने पर पहले को फेंककर दूसरा नया उपकरण प्रयोग में लाते हैं तो इस निष्प्रयोज्य खराब उपकरण को ई-कचरा कहा जाता है. उदारहण के लिए कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी/टेलीविजन, रेडियो/ट्रांजिस्टर, डिजिटल कैमरा आदि. विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 200 से 500 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा जनित होता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में भारत में ई-कचरे की कुल मात्रा 1.47 लाख मीट्रिक टन थी जो कि वर्ष 2012 में बढ़कर लगभग 8 लाख मीट्रिक टन हो गई. भारत में जनित ई-कचरे की मात्रा विगत 6 वर्षों में लगभग 5 गुनी हो गई है तथा इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है. इसकी सबसे बड़ी दिक्कत है कि यह अधिकतर प्लास्टिक से बना होता है जिसका निदान करना आसान नहीं है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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