समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भारत को जल्द ही तीन परमाणु हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी. ये तीनों पनडुब्बियां 95 प्रतिशत स्वदेशी होंगी. इसके बाद ऐसी ही तीन और पनडुब्बियां बनाई जाएंगी. स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता में भारी इजाफा होने जा रहा है.
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति तीन परमाणु पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इन पनडुब्बियों को विशाखापत्तनम में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाया जाएगा. यह परियोजना अरिहंत श्रेणी की परियोजना से अलग है.
छह परमाणु संचालित
इस परियोजना के तहत बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता के साथ छह परमाणु संचालित पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं. परमाणु हमला पनडुब्बी परियोजना स्वदेशी पनडुब्बी क्षमता में बड़ा इजाफा करेगी क्योंकि इसका 95 प्रतिशत भारत में बनाया जाएगा. यह परियोजना निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों समेत घरेलू रक्षा क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा देगी.
बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने की उम्मीद
यह परियोजना अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत मददगार होगी क्योंकि इससे रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. भारत सरकार का ये कदम देश के भीतर पनडुब्बी निर्माण क्षमता के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा.
तीन पनडुब्बियों के निर्माण की मंजूरी
नौसेना और डीआरडीओ को इनमें से पहली तीन पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी मिलेगी. इनके पास इस परियोजना के पूरा होने के बाद तीन और नावों के निर्माण का विकल्प होगा. भारतीय नौसेना का छह स्वदेशी परमाणु हमले वाली पनडुब्बियां रखने का प्रस्ताव कुछ प्रमुख रक्षा आधुनिकीकरण प्रस्तावों में से एक था.
स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता
भारत स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता के क्षेत्र में काफी तेजी से प्रगति कर रहा है. पहली अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी कुछ साल पहले चालू की गई थी और दूसरी आईएनएस अरिघाट भी समुद्री परीक्षणों से गुजर रही है. भारत की छह परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों सहित 24 पनडुब्बियों के निर्माण की योजना है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में लंबी दूरी पर अपने दुश्मनों पर कड़ी नजर रख सकेंगी.
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