जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने 28 फरवरी 2022 को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी कि जलवायु के लगातार बिगड़ते हालात से दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा को लेकर जोखिम खड़ा हो रहा है. साथ ही चेताया कि जलवायु परिवर्तन के वजह से भारत एवं पाकिस्तान में बाढ़ और सूखे के हालात पैदा होने का खतरा बढ़ रहा है.
जलवायु परिवर्तन 2022 प्रभाव, अनुकूलन और संवेदनशीलता’ विषय पर आईपीसीसी कार्यकारी समूह-द्वितीय की रिपोर्ट के दूसरे खंड में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही एशिया में कृषि एवं खाद्य प्रणाली हेतु खतरा बढ़ेगा. इसका पूरे क्षेत्र पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा.
आपको बता दें कि रिपोर्ट में कहा गया कि उदाहरण के तौर पर दक्षिण एशिया में जलवायु संबंधी गंभीर परिस्थितियों के कारण खाद्य सुरक्षा का जोखिम बढ़ रहा है. इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत एवं पाकिस्तान जैसी कृषि आधारित अर्थव्यवस्थओं पर पड़ेगा.
रिपोर्ट में आगाह किया गया कि जलवायु परिवर्तन से मत्स्य पालन, समुद्री जीवन और फसलों की पैदावार पर विपरीत प्रभाव होगा. इसमें कहा गया है कि यदि अनुमानत: तापमान में एक डिग्री सेल्सियस से चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी होती है तो भारत में चावल का उत्पादन 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक, जबकि मक्के का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है.
जलवायु परिवर्तन और वैश्विक गर्मी के कारण ऐसे कीड़े की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसे गोल्डेन एपल स्नेल (Golden Apple Snail) कहते हैं. यह भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार, चीन, इंडोनेशिया, फिलिपींस तथा जापान में चावल उत्पादन को रोकेगा.
लगातार जलवायु में बदलाव होने के कारण से साल 2019 में केवल बांग्लादेश, चीन, भारत एवं फिलिपींस में 40 लाख से ज्यादा लोग आपदाओं की वजह से विस्थापित हुए. घोर प्राकृतिक आपदाओं के भारत एवं पाकिस्तान में आने की आशंका बहुत ज्यादा हो गई है. इससे दोनों देशों की खाद्य एवं कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा.
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण से कई जीवों की प्रजातियां भी खत्म हो रही हैं. लगातार बढ़ रहे ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण से मध्य एशिया, रूस, चीन और भारत में जंगल की आग का खतरा बढ़ने की आशंका है.
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