मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को 07 जून 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष चुना गया. शाहिद सितंबर में शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की अध्यक्षता करेंगे. 193 सदस्यीय महासभा ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 07 जून को मतदान किया. शाहिद तुर्की के राजनयिक वोल्कान बोज़किर का स्थान लेंगे जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष थे.
चुनाव में शाहिद के साथ ही अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री डॉ जलमई रसूल भी उम्मीदवार थे. मालदीव को कुल 143 वोट मिले, वहीं अफगानिस्तान को 48 वोट मिले. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष बनने के लिए शुभकामनाएं.
Heartiest felicitations to Foreign Minister of Maldives @abdulla_shahid on his election as President for 76th UN General Assembly.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 7, 2021
76वीं महासभा की अध्यक्षता
शाहिद 76वीं महासभा की अध्यक्षता करेंगे. उनका कार्यकाल 2021-22 होगा. मालदीव के लिए यह गौरव का पल इसलिए भी है क्योंकि इस छोटे से देश को पहली बार विश्व मंच पर इतना बड़ा पद हासिल हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का पद
यह एक वार्षिक आधार पद है, जो कि विभिन्न क्षेत्रीय समूहों के बीच स्थानांतरित होता है. 76वें सत्र (2021-22) में एशिया-प्रशांत समूह की बारी है. यह पहली बार है जब मालदीव संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्यालय पर काबिज होगा. महासभा के अध्यक्ष पद के लिए हर साल गुप्त मतदान के जरिए चुनाव किया जाता है और जीत के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है.
उम्मीदवारी की घोषणा
मालदीव ने दिसंबर 2018 में शाहिद की उम्मीदवारी की घोषणा की थी. उस समय कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं था. भारत ने भी उन्हें समर्थन देने का पहले ही ऐलान कर दिया था. शाहिद विशेष रूप से बहुपक्षीय मंचों में विशाल राजनयिक अनुभव और मजबूत साख के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा का पद संभालने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं.
भारत के साथ मालदीव और अफगानिस्तान के अच्छे संबंध
भारत के साथ मालदीव और अफगानिस्तान दोनों के अच्छे संबंध हैं और दोनों उम्मीदवार भारत के मित्र हैं. हालांकि चूंकि भारत ने मालदीव को ऐसे समय में अपना समर्थन देने का वादा किया था, जब कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं था. भारत ने मालदीव के पक्ष में मतदान किया.
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