फ्रांस नेशनल असेंबली द्वारा 22 अप्रैल 2018 को एक विवादास्पद आव्रजन कानून पारित किया जिसके चलते देश में राजनितिक उथल-पुथल शुरू हो गयी है.
विवादास्पद आव्रजन कानून पारित करने से राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की पार्टी अभूतपूर्व तरीके से दो हिस्सों में बट गई. इस पर 61 घंटों तक बहस चली, जिसके बाद कल इसे पारित किया गया. इस कानून इसके पक्ष में 228 और खिलाफ 139 मत डले जबकि 24 अनुपस्थित रहें. मैक्रों की पार्टी रिपब्लिक ऑन द मूव (एलआरईएम) पार्टी के भारी समर्थन के दम पर यह पारित हुआ.
राजनीतिक हलचल
हालांकि यह बिल मैक्रो की पार्टी को मिले भारी बहुमत के कारण प्राप्त हुआ लेकिन पार्टी के एक प्रमुख सदस्य जीन मिशेल क्लेमेंट ने बिल पारित होते ही बगावत की घोषणा कर दी तथा वोट न देते हुए पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी. फ्रांस के लेफ्ट विंग और राईट विंग के नेताओं ने भी इस कानून के विरोध में अपने मत दिए. यह बिल 20 अप्रैल को पारित होना था लेकिन इस पर चली लंबी बहस के कारण यह वीकेंड तक खिंच गया. इस बिल में 1,000 से भी अधिक संशोधन प्रस्तावित किये गये.
कानून के प्रस्ताव
इसका लक्ष्य आव्रजन पर बेहतर नियंत्रण आश्रय आवेदनों के प्रतीक्षा समय को छह माह करना और आर्थिक प्रवासियों के निर्वासन को आसान बनाना है. इसके शरणार्थियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जायेंगी ताकि वे फ्रांस में बेहतर जीवन जी सकें और निर्वासित जीवन जीने पर मजबूत न हों.
यूरोप में प्रवासी संकट
मध्य पूर्व और अफ़्रीका से रोज़ाना सैकड़ों की तादाद में पहुंच रहे प्रवासियों से यूरोपीय संघ के देश दवाब में हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रवासी संगठन के मुताबिक़, वर्ष 2015 में जनवरी से अगस्त के बीच 3,50,000 प्रवासियों की पहचान की गई. बीते साल 2,80,000 प्रवासियों की शिनाख़्त हुई थी.
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