गोवा के मुख्यमंत्री, प्रमोद सावंत ने 23 जून, 2021 को यह कहा कि, राज्य ने पिछले तीन वर्षों में एक भी रेबीज का मामला दर्ज नहीं किया है, जिससे गोवा अब भारत का पहला रेबीज मुक्त राज्य बन गया है.
यह रेबीज नियंत्रण का कार्य, मिशन रेबीज परियोजना द्वारा किया गया है. इसे केंद्र सरकार के अनुदान से चलाया जा रहा है.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के मुताबिक, मिशन रैबीज प्रोजेक्ट तमाम राजनीतिक नेताओं और पंचायतों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में काफी काम कर रहा है.
गोवा पहला रेबीज मुक्त राज्य कैसे बना?
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अपनी कैबिनेट बैठक के बाद इस नवीनतम उपलब्धि के बारे में बात करते हुए यह बताया कि,
• राज्य ने अब कुत्तों में रेबीज के खिलाफ 5,40,593 टीकाकरण लक्ष्य हासिल कर लिया है.
• सरकार ने पूरे गोवा में लगभग एक लाख लोगों को कुत्ते के काटने की रोकथाम के बारे में शिक्षित किया है.
• कुत्ते के काटने से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक आपातकालीन हॉटलाइन के साथ-साथ एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम को शामिल करते हुए 24 घंटे संचालित रेबीज निगरानी स्थापित की गई है.
मिशन रेबीज परियोजना के बारे में
मिशन रेबीज एक चैरिटी है जिसे शुरू में वर्ल्डवाइड वेटरनरी सर्विसेज द्वारा एक पहल के तौर पर स्थापित किया गया था.
यह यूके स्थित एक चैरिटी समूह है जो जानवरों की सहायता करता है. मिशन रेबीज प्रोजेक्ट में एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण है जो कुत्ते के काटने से होने वाले रेबीज रोग को खत्म करने के लिए अनुसंधान द्वारा प्रेरित है.
इस मिशन को सितंबर, 2013 में भारत में रेबीज के खिलाफ 50,000 कुत्तों का टीकाकरण करने के मिशन के साथ शुरू किया गया था. मिशन रेबीज की टीम ने तब से 9,68,287 कुत्तों का टीकाकरण किया है.
इस संगठन ने तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गोवा, राजस्थान और असम सहित विभिन्न राज्यों में भी काम किया है.
रेबीज क्या है और इसके कारण क्या हैं?
यह एक वायरल रोग है जो मनुष्यों के साथ-साथ अन्य स्तनधारियों में मस्तिष्क की सूजन का कारण बनता है. इस रोग के शुरुआती लक्षणों में एक्सपोजर के स्थल पर झुनझुनी और बुखार शामिल हो सकते हैं.
इन लक्षणों के बाद निम्न में से एक या अधिक लक्षण दिखाई देते हैं जैसेकि, हिंसक हलचल, उल्टी, मतली, अनियंत्रित उत्तेजना, भ्रम, शरीर के अंगों को हिलाने में असमर्थता, भ्रम.
यह रेबीज रोग लिस्सा वायरसेस के कारण होता है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई बैट लिस्सा वायरस और रेबीज वायरस शामिल हैं और यह तब फैलता है जब कोई संक्रमित जानवर किसी इंसान या किसी अन्य जानवर को खरोंचता या काटता है. विश्व स्तर पर, कुत्ते इस बीमारी को फैलाने में शामिल सबसे आम जानवर हैं.
रेबीज से दुनिया भर में हर साल लगभग 56,000 मौतें होती हैं और रेबीज से होने वाली 95% से अधिक मानव मौतें अफ्रीका और एशिया में होती हैं. रेबीज से होने वाली लगभग 40% मौतें 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होती हैं.
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