नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 16 अक्टूबर, 2021 को विमानन क्षेत्र के हितधारकों जैसे एयरलाइंस और हवाई अड्डों के लिए कुछ नये मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि, विकलांग लोग सुगमता पूर्वक अपनी हवाई यात्रा कर सकें.
अभिनेत्री और नर्तकी सुधा चंद्रन ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में अपनी आपबीती सुनाई थी कि, कैसे किसी भी हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के दौरान उन्हें हर बार अपने कृत्रिम अंग को हटाने के लिए बाध्य होना पड़ता है.
भारत सरकार के मसौदा दिशा निर्देश: मुख्य विवरण
इन नए मसौदा दिशानिर्देशों के अनुसार, हवाईअड्डा संचालकों को विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इस स्क्रीनिंग प्रक्रिया को "यात्री की गरिमा और गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए" कुशलतापूर्वक संपन्न किया जा सके. इन मसौदा दिशानिर्देशों में यह उल्लेख भी किया गया है कि, प्रोस्थेटिक्स की स्क्रीनिंग के दौरान, हवाईअड्डे की सुरक्षा - जिसे अधिकांश हवाई अड्डों पर CISF द्वारा नियंत्रित किया जाता है - एक्स-रे, विस्फोटक ट्रेस डिटेक्शन डिवाइस या दृश्य जांच का उपयोग उनकी आवश्यकता के अनुसार कर सकता है.
भारत सरकार करेगी राष्ट्रीय रोजगार नीति के लिए पैनल गठित
यह नोट किया जाये कि, ऐसा कोई भी यात्री – जो किसी कृत्रिम अंग का इस्तेमाल करता है - पहले दरवाजे के फ्रेम मेटल डिटेक्टर से गुजरेगा और फिर उसे एक निजी स्क्रीनिंग पॉइंट पर ले जाया जाना चाहिए और फिर, उन्हें आराम से बैठने देना चाहिए. इन ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि, ऐसे यात्री की फिर, पैट-डाउन सहित अतिरिक्त स्क्रीनिंग की जायेगी.
मसौदा दिशानिर्देशों में दिए गये प्रमुख जांच निर्देश
"एक कृत्रिम उपकरण जिसमें कोई ऐसा फोम पैडिंग कवर नहीं होता है जिसके तहत कोई हथियार या विस्फोटक छुपाया जा सके, और जिसमें उपकरण की स्टील रॉड स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, केवल दृश्य निरीक्षण और ETD जांच द्वारा इसे हटाए बिना भी जांच की जा सकती है." हालांकि, किन्हीं विशेष मामलों में, जहां यात्री की प्रोफाइलिंग सहित पर्याप्त औचित्य है, एक्स-रे स्क्रीनिंग का सहारा लिया जा सकता है. इन दिशा निर्देशों में आगे यह कहा गया है कि, एक्स-रे स्क्रीनिंग के लिए एक कृत्रिम अंग के अधीन होने के औचित्य को जोड़ने के लिए स्क्रीनर द्वारा एक में दर्ज किया जाएगा. इन दिशानिर्देशों में आगे यह भी उल्लेख किया गया है कि, प्रोस्थेटिक/ कृत्रिम उपकरण जो फोम पैडिंग में ढके हुए हैं और जिनमें स्टील रॉड दिखाई नहीं दे रहा है, उन्हें एक्स-रे स्क्रीनिंग से गुजरना होगा.
जानिये यहां आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के बारे में सब कुछ
इन मसौदा दिशानिर्देशों में यह कहा गया है कि, जिन यात्रियों के पास इंसुलिन पंप, श्रवण यंत्र, कर्णावत प्रत्यारोपण, रीढ़ की हड्डी के विकास उत्तेजक और अस्थि-पंजर सहित बाहरी उपकरण हैं, उन्हें अब से एक्स-रे स्क्रीनिंग के लिए अपने अंगों/ उपकरणों को डिस्कनेक्ट नहीं करना होगा.
इसमें आगे यह भी कहा गया है कि, ज्यादातर परिस्थितियों में, एक यात्री इन उपकरणों का सेल्फ-पैट-डाउन कर सकता है और उसके बाद अपने हाथों की ETD स्क्रीनिंग कर सकता है.
मसौदा दिशानिर्देशों में उल्लिखित अन्य महत्त्वपूर्ण विवरण
इन मसौदा दिशानिर्देशों का उल्लेख किया गया है कि, किसी भी दिव्यांग/ विकलांग यात्रियों को निर्धारित प्रस्थान से 48 घंटे पहले एयरलाइन को अपनी पूरी आवश्यकता के बारे में सूचित करना चाहिए ताकि वाहक आवश्यक व्यवस्था कर सके. अगर कोई यात्री हवाईअड्डे पर अपने व्हीलचेयर में चेक-इन करना चाहता है, तो एयरलाइन को यह सुनिश्चित करना होगा कि, व्हीलचेयर की विधिवत जांच की गई है और किसी भी नुकसान से बचने के लिए सर्विस पार्टनर के साथ इसे बैगेज मेक-अप क्षेत्र में भेजा गया है. व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं की आरामदायक बोर्डिंग या डिबारिंग के लिए एक लो फ्लोर कोच या रैंप का उपयोग किया जाना चाहिए.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation