केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2018 को काले धन के खिलाफ अभियान के तहत नियमों के पालन में ढिलाई बरतने वाली 1.20 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने दिसंबर 2017 तक 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर चुकी है. इन कंपनियों से संबद्ध तीन लाख से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य ठहराया जा चुका है. केंद्र सरकार के इस कदम से धन का अवैध लेनदेन रोका जा सकेगा.
मंत्रालय के अनुसार पहले अपंजीकृत की गई कंपनियों में से 1157 मामलों में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में इस फैसले के खिलाफ आवेदन किया गया था. एनसीएलटी ने 180 मामलों में पंजीकरण पुनः लागू करने पर विचार करने का आदेश दिया था. इस पर आवश्यक औपचारिकता पूरी होने पर 129 कंपनियों का पंजीकरण संबंधित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) द्वारा दोबारा लागू कर दिया गया.
निदेशकों को अयोग्य घोषित करने के 992 मामले विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं. मंत्रालय के अनुसार 190 मामलों को निस्तारित कर दिया गया है. विलंब माफी योजना के तहत मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करने का निर्देश दिया गया है. यह योजना 31 मार्च 2018 तक लागू रहेगी. इसमें डिफॉल्टर कंपनियों को फार्म दाखिल करने समेत सभी औपचारिकताएं पूरी करने का अवसर दिया गया है.
कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने और निदेशकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद कंपनियों में नियमों के अनुपालन का रुझान सुधरा है. ज्यादा से ज्यादा कंपनियां मंत्रालय की वेबसाइट एमसीए21 पर वार्षिक रिटर्न और फार्म दाखिल कर रही हैं. कंपनियों को सभी फार्म इस वेबसाइट पर ही लोड करने होते हैं. आयकर विभाग ने कालेधन और कर चोरी पर शिकंजा कसा है.
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