Popular Front of India: केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगी संगठनों और संबद्ध संस्थाओं पर बैन लगा दिया है. सरकार ने यह फैसला संगठन की संदिग्ध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है. जिसमे संवैधानिक ढांचे की अवहेलना, सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना और विभिन्न प्रकार की असंवैधानिक गतिविधियां आदि शामिल है.
Central Government declares PFI (Popular Front of India) and its associates or affiliates or fronts as an unlawful association with immediate effect, for a period of five years. pic.twitter.com/ZVuDcBw8EL
— ANI (@ANI) September 28, 2022
गृह मंत्रालय ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संगठनो को उनकी संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर बैन किया गया है. जो देश की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा था. इनसे जुड़े संगठनों पर और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पांच वर्षों का बैन लगा दिया गया है. साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह प्रतिबन्ध इनकी असंवैधानिक और संदिग्ध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है. यह बैन उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात राज्य सरकारों और जाँच एजेंसियों की सिफारिशों के बाद लिया गया है.
किस अधिनियम के तहत किया गया बैन?
- गृह मंत्रालय ने यह प्रतिबन्ध विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के अंतर्गत लगाया है. यह प्रतिबन्ध पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या अग्रणी संगठनों पर लागू कर दिया गया है. साथ ही संगठन के ट्विटर अकाउंट को भी ट्विटर इंडिया द्वारा, सरकार की शिकायत के बाद ब्लॉक कर दिया गया है.
- पीएफआई सहित उससे जुड़े रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ),रिहैब फाउंडेशन, केरल और नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, और एम्पावर इंडिया फाउंडेशन को बैन कर दिया गया है.
- सरकार द्वारा यह फैसला NIA और ED सहित जाँच एजेंसियों की पीएफआई और इससे जुड़े संगठनो पर छापेमारी के बाद लिया गया है. यह छापेमारी 22 से 27 सितम्बर के मध्य की गयी थी. जिसमें संगठन से जुड़े कई लोगों को या तो गिरफ्तार किया गया या हिरासत में लिया गया था. इन कार्रवाई की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस संगठन को बैन करने का फैसला लिया.
- पीएफआई की स्थापना वर्ष 2006 में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KFD) और नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के विलय के साथ की गयी थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित था.
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