भारत के नए श्रम संहिता (Labour Codes) देश में 4-दिवसीय वर्क वीक को कानूनी रूप से संभव तो बनाते हैं, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं करते। असली शर्त यह है कि किसी भी हालत में साप्ताहिक कार्य-समय 48 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई कंपनी 4 दिन काम कराती है, तो हर दिन लगभग 12 घंटे (ब्रेक सहित) काम कराना पड़ेगा, और यह तभी होगा जब नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की सहमति हो।
क्या कहा श्रम और रोज़गार मंत्रालय:
श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने हाल ही में X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में 4-दिन के कार्य सप्ताह की संभावना को रेखांकित किया। 'भ्रम निवारण' शीर्षक वाली अपनी पोस्ट में- श्रम संहिताओं के तहत सामान्य कार्य दिवस अब 12 घंटे निर्धारित- श्रम मंत्रालय ने उन शर्तों की व्याख्या की जो 4-दिन के कार्य सप्ताह को संभव बनाएंगी।
नए श्रम संहिताओं में क्या हैं प्रावधान?
भारत में लागू चार नई श्रम संहिताएँ-
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वेतन संहिता (Wages Code)
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औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code)
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सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code)
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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियाँ संहिता (OSH Code)
इन संहिताओं ने 29 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह ली है। कार्य-समय को लेकर इनका मूल सिद्धांत साफ है:
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सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम
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दैनिक काम के घंटे 8 से 12 के बीच तय किए जा सकते हैं
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तय सीमा से ज्यादा काम करने पर दोगुना ओवरटाइम भुगतान अनिवार्य
श्रम मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कंपनियाँ 4-दिवसीय, 5-दिवसीय या 6-दिवसीय वर्क वीक अपना सकती हैं, बशर्ते 48 घंटे की सीमा और बाकी सुरक्षा नियमों का पालन हो।
क्या 4-दिवसीय वर्क वीक पूरी तरह कानूनी है?
हाँ, लेकिन यह कोई राष्ट्रीय नीति या अधिकार नहीं, बल्कि केवल एक कानूनी विकल्प है।
कंपनी चाहे तो कर्मचारियों से:
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4 दिन × 12 घंटे = 48 घंटे काम करवा सकती है.
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इसके बाद 3 दिन साप्ताहिक अवकाश दे सकती है.
शर्तें साफ हैं:
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कम से कम एक अनिवार्य साप्ताहिक छुट्टी
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दो शिफ्टों के बीच लगभग 12 घंटे का आराम
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स्वास्थ्य, सुरक्षा और थकान से जुड़े नियमों का पालन
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हर कर्मचारी के लिए लगातार 12-घंटे की ड्यूटी तय करना व्यावहारिक और सुरक्षित नहीं है और इससे विवाद या मुकदमेबाजी भी हो सकती है।
एक दिन में 12 काम के घंटों में क्या होगा शामिल?
श्रम मंत्रालय यह भी कहता है कि अनिवार्य रूप से, साप्ताहिक घंटे 48 निर्धारित किए गए हैं। श्रम मंत्रालय का कहना है कि 12 घंटे के काम में ब्रेक या विस्तारित समय भी शामिल होगा।
The Labour Codes allow flexibility of 12 hours for 4 workdays only, with the remaining 3 days as paid holidays.
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) December 12, 2025
Weekly work hours remain fixed at 48 hours and overtime beyond daily hours must be paid at double the wage rate.#ShramevJayate pic.twitter.com/5udPMqRXbg
क्या भारत सच में 4-दिवसीय वर्क वीक अपनाएगा?
भारत में 4-दिवसीय कार्य-सप्ताह अपनाने की संभावना इन बातों पर निर्भर करेगी:
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IT, ITeS और सर्विस सेक्टर में प्रयोग संभव
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फैक्ट्री, अस्पताल, रिटेल, लॉजिस्टिक्स में मुश्किल
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ट्रेड यूनियन और कर्मचारी सहमति
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उत्पादकता और लागत दबाव
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अनौपचारिक क्षेत्र, जहाँ कानून का पालन कमजोर है
यदि सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह मॉडल वर्क-लाइफ बैलेंस सुधारने में मददगार हो सकता है, लेकिन गलत तरीके से लागू होने पर लंबे कार्य-दिवस को सामान्य भी बना सकता है।
क्या है लोगों में भ्रांति (Myth):
श्रम संहिताओं के तहत अब सामान्य कार्य दिवस 12 घंटे निर्धारित किए गए हैं।
और क्या है फैक्ट्स (Facts):
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सप्ताह में अधिकतम 4 दिनों के लिए 12 घंटे के कार्य दिवसों की लचीलापन अनुमत है, शेष तीन दिन सवैतनिक अवकाश होंगे।
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12 घंटों में अंतराल/स्प्रेड-ओवर शामिल होगा।
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साप्ताहिक कार्य घंटे 48 निर्धारित किए गए हैं।
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दैनिक कार्य घंटों से अधिक काम करने पर दोगुने वेतन दर पर ओवरटाइम का भुगतान किया जाएगा।
भारत में 4-दिवसीय वर्क वीक कानूनन संभव है, लेकिन न तो अनिवार्य है और न ही सार्वभौमिक अधिकार। इसका भविष्य पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनियाँ, कर्मचारी, राज्य सरकारें और यूनियन इसे कैसे अपनाती हैं।
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