केंद्र सरकार ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिये आदेश जारी कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल करते हुए 23 जुलाई 2020 को युद्धक इकाई के अतिरिक्त सेना के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के स्थायी कमीशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
केंद्र सरकार के इस कदम के साथ ही सेना के शीर्ष पदों पर अब महिलाओं की तैनाती की जा सकेगी. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को अब सेना की सभी दस शाखाओं में स्थायी कमीशन मिलेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया था एक माह का समय
सुप्रीम कोर्ट ने 07 जुलाई 2020 को केंद्र सरकार को एक माह का और समय देते हुए स्थायी कमीशन पर फरवरी का अपना फैसला लागू करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि महिलाओं को भी कमान देने पर विचार किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही लैंगिक भेदभाव समाप्त करते हुए कहा था कि सभी महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की हकदार हैं.
लंबे समय से सेना में स्थायी कमीशन की मांग
सेना में फिलहाल महिला अधिकारियों को केवल दो शाखाओं जज एडवोकेट जनरल और शिक्षा कोर में ही स्थायी कमीशन मिलता था. शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के अंतर्गत महिला अधिकारियों को शुरू में पांच वर्ष के लिए लिया जाता था, जिसे बढ़ा कर 14 वर्ष तक किया जा सकता था. स्थायी कमीशन मिलने से उन्हें सेवानिवृत्ति की उम्र तक सेवा का लाभ मिलेगा. लंबे समय से महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन की मांग उठ रही थी.
सेना में स्थायी कमीशन का मतलब क्या है?
बता दें कि इस आदेश से पहले सेना और नेवी में महिलाएं पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत नियुक्त होकर ही काम करती थीं. उन्हें पुरुष अफसरों की तरह स्थायी कमीशन हेतु आवेदन का मौका मिल सकेगा. स्थायी कमिशन का सेना में ये अर्थ है कि इस कमीशन के तहत कोई अफसर रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है और इसके बाद वह पेंशन का भी हकदार होगा.
स्थायी कमीशन से क्या बदलेगा?
स्थायी कमीशन दिये जाने का मतलब यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब रिटायरमेंट (सेनानिवृत्ति) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं. यदि वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा दे सकती हैं. अब तक शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा.
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