केंद्र सरकार ने टीबी (क्षय रोग) के खिलाफ 10 दिसंबर 2017 को एक राष्ट्रव्यापी अभियान आरंभ किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस अभियान को पोलियो के खिलाफ चलाये गये अभियान की तर्ज पर आरंभ किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संक्रामक बीमारी के शुरुआती और बेहतर निदान के लिए 15 दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसमें स्वास्थ्यकर्मी और पर्यवेक्षक घर-घर जाएंगे और इस बीमारी के बारे में पता लगाएंगे.
मुख्य बिंदु
• स्वास्थ्य विभाग का संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) अपने तीसरे चरण में है और इसे चार दिसंबर को शुरू किया गया.
• सरकार ने 2025 तक टीबी को समाप्त करने की योजना बनाई है, हालांकि डब्ल्यूएचओ ने लक्ष्य अवधि को 2030 तक निर्धारित किया है.
• एक्टिव केस फाइनडिंग (एसीएफ) नामक इस कार्यक्रम के अंतर्गत एएसएचए के स्वास्थ्यकर्मी और टीबी पर्यवेक्षक देश में मौजूद टीबी के उच्च जोखिम वाले 186 जिलों का दौरा कर रहे हैं.
• डब्लूएचओ के एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष भारत में टीबी के 28 लाख नए मामले सामने आते हैं, लेकिन केवल 17 लाख मामले ही स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य अधिकारियों के सामने आते हैं.
• इस कार्यक्रम से टीबी के मामलों के निदान को बढ़ावा मिलेगा. इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य कर्मचारी घर-घर जाएंगे और पूछेंगे कि वहां कोई टीबी का रोगी है या नहीं.
• यह कार्यक्रम केवल उच्च जोखिम वाले 186 जिलों में चलाया जा रहा है.
टीबी अथवा क्षय रोग
• टीबी को ट्यूबरक्लोसिस अथवा क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है.
• क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति में बहुत अधिक कमजोरी देखी जाती है तथा लगातार खांसी होती रहती है.
• क्षयरोग केवल मनुष्य के फेफड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है.
• क्षय रोग के तीन प्रकार हैं - फुफ्सीय टीबी, पेट का टीबी तथा हड्डी का टीबी.
• इन तीनों प्रकार के रोगों में अलग-अलग अवस्थाएं एवं लक्षण होते हैं तथा इनका उपचार भी भिन्न होता है.
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