भारत सरकार ने खरीफ सीजन, 2022 से ओवरहाल की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PFMBY) को शुरू करने के उद्देश्य से एक कार्य समूह का गठन किया है.
कार्य समूह के गठन के प्रमुख उद्देश्य
- इस कार्य समूह का गठन केंद्र के अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों और प्रमुख फसल उत्पादक राज्यों को मिलाकर किया गया है.
- यह कार्य समूह "टिकाऊ, वित्तीय और परिचालन मॉडल्स" के बारे में उपयोगी सुझाव देगा.
- भारत के कई राज्यों द्वारा इस योजना को छोड़ने के बाद, इस कार्य समूह का गठन किया गया था, अन्यथा किसानों की आय की रक्षा करने का उद्देश्य विफल हो सकता था.
कार्य समूह का कार्य
भारत सरकार पर सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए, बीमाकर्ताओं की स्थायी क्षमता प्राप्त करने के साथ-साथ, तर्कसंगत प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने के उद्देश्य से इस कार्य समूह से वैकल्पिक मॉडल की मांग को पूरा करने की उम्मीद जताई जा रही है. यह कार्य समूह अगले छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगा.
इंडियन प्रोजेक्ट ने जीता ईको ऑस्कर अवार्ड
कार्य समूह के गठन के प्रमुख कारण
उक्त योजना के कार्यान्वयन के दौरान PFMBY को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों के तौर पर, इस कार्य समूह की स्थापना, प्रीमियम बाजार की सख्तता, बीमाकर्ताओं की अपर्याप्त अंडरराइटिंग क्षमता और निविदाओं में पर्याप्त भागीदारी की कमी के तौर पर की जाएगी.
PFMBY योजना के तहत प्रीमियम
इस योजना के तहत, किसानों को रबी फसलों के लिए बीमा राशि का 1.5% जबकि खरीफ फसलों के लिए 2% प्रीमियम तय करना आवश्यक है. PFMBY के तहत नकदी फसलों के लिए यह 5% है. शेष प्रीमियम को केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित किया जाता है.
भारत के विभिन्न राज्यों की प्रीमियम सब्सिडी के लिए मांग
कुछ राज्यों ने प्रीमियम सब्सिडी के अपने हिस्से को 30% तक सीमित करने की मांग की है, जबकि कुछ राज्य केंद्र से पूरी सब्सिडी वहन करने की मांग कर रहे हैं.
भारत सरकार ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को दिया 'महारत्न' का दर्जा, देखें भारत की महारत्न कंपनियों की लिस्ट
भारत के ये राज्य हो गए इस योजना से बाहर, इन राज्यों की हैं अपनी बीमा योजनायें
गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार अब तक इस योजना से बाहर हो चुके हैं. पंजाब ने अब तक फसल बीमा योजना लागू नहीं की है. बिहार, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपनी-अपनी योजनाएं शुरू की हैं, जिसके तहत किसान कोई प्रीमियम नहीं देते हैं, हालांकि फसल खराब होने की स्थिति में उन्हें एक निश्चित मुआवजा राशि मिलती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation