हैती में 7.2 रिक्टर स्केल के आए भूकंप में मरने वालों की संख्या 1297 पहुंच गई है. यहां पर घायलों का आंकड़ा भी 5700 है. कैरेबियाई देश हैती में शक्तिशाली भूकंप तबाही करने वाला था, यहां गांव के गांव उजाड़ हो गए. हजारों की संख्या में लोग घरों के पूरी तरह नष्ट हो जाने के बाद विस्थापित हो गए हैं.
भूकंप पीडि़तों को भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है. कोरोना महामारी और हिंसा की घटनाओं के बीच इस प्राकृतिक आपदा में राहत कार्य में मुश्किल हो रही है. हैती में कुछ समय पहले ही राष्ट्रपति की हत्या कर दी गई थी. अर्जेंटीना, चिली समेत कई देशों ने मदद की पेशकश की है.
बाढ़ और भूस्खलन का खतरा
अमेरिका के राष्ट्रीय तूफान केंद्र ने 15 अगस्त 2021 को कहा कि तूफान बहुत शक्तिशाली नहीं होगा लेकिन मौसम विज्ञानियों ने आगाह किया है कि भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. प्रधानमंत्री एरियल हेनरी ने कहा कि वह ऐसे स्थानों पर मदद भिजवा रहे हैं जहां शहर तबाह हो गए हैं औऱ अस्पतालों में मरीजों भी भर गए हैं.
कई शहर हुए तबाह
14 अगस्त 2021 को हैती के दक्षिणपश्चिम हिस्से में भूकंप आने से कई शहर लगभग पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और भूस्खलन होने से बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है. भूकंप के कारण कोरोना वायरस महामारी से पहले से बुरी तरह प्रभावित हैती के लोगों की पीड़ा और भी बढ़ गई है.
भूकंप का केंद्र
अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने कहा है कि भूकंप का केंद्र राजधानी पोर्ट औ प्रिंस से करीब 125 किलोमीटर की दूरी पर था. 15 अगस्त 2021 को भी यहां झटके महसूस किए गए. प्रधानमंत्री ने पूरे देश में एक महीने की आपात स्थिति की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि कुछ शहर तो लगभग पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
हैती पर यह आपदा ऐसे समय आई है जब वह कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और उसके पास इन संकटों से निबटने के संसाधनों की कमी है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूएसऐड प्रशासक समांथा पॉवर को हैती को अमेरिकी मदद देने के लिए समन्वयक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है.
7000 से अधिक मकान नष्ट
हैती के नागरिक सुरक्षा कार्यालय की तरफ से बताया गया कि 7,000 से अधिक मकान नष्ट हो गए तथा लगभग 5,000 क्षतिग्रस्त हो गए. अस्पताल, स्कूल, कार्यालय और गिरजाघर भी प्रभावित हुए हैं. हैती पर यह आपदा ऐसे समय आई है जब वह कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और उसके पास इन संकटों से निबटने के संसाधनों की कमी है.
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