स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 11 मई को चयनित जिलों में जनसंख्या आधारित सेरो सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य कोविड -19 संक्रमण के प्रसार की प्रवृत्ति की निगरानी करना है. इस मंत्रालय के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) चयनित जिलों में एक सेरो सर्वेक्षण करेगा.
इस सेरो सर्वेक्षण के लिए गले और नाक के स्वाब आरटी-पीसीआर परीक्षणों के लिए एकत्र किए जाएंगे और वर्तमान परीक्षण दिशानिर्देशों के अनुसार नियमित परीक्षण के अलावा, यह निगरानी होगी.
मुख्य विशेषताएं
• स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस समय सेरो सर्वेक्षण आवश्यक है क्योंकि सभी जिलों में SARS-CoV-2 संक्रमण के लिए व्यवस्थित निगरानी स्थापित करने की आवश्यकता है.
• सेरो सर्वे की निगरानी इकाई में कुल 10 स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी, इसमें प्रत्येक जिले से 6 सार्वजनिक और 4 निजी सुविधाएं शामिल होंगी.
• इस सर्वेक्षण के तहत एकत्र किए गए डाटा के मानक संकेतक प्रारूपों का उपयोग करके कार्रवाई के लिए स्थानीय रूप से विश्लेषण किया जाएगा. इसके बाद जगह, व्यक्ति, समय और प्रवृत्ति विश्लेषण के लिए संकेतक बनाए जाएंगे.
• एकीकृत विधि निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), जिला और राज्य स्वास्थ्य प्रशासकों, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और मेडिकल कॉलेजों के समुदाय चिकित्सा विभाग द्वारा इस निगरानी पद्धति को देश भर में एक साथ लागू किया जाएगा.
सेरो सर्वेक्षण कैसे किया जाएगा?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह बताया है कि इस निगरानी प्रक्रिया के तहत, विभिन्न जनसंख्या समूहों के लिए जैसेकि, कम जोखिम वाली आबादी के बीच, बाहरी मरीजों की देखभाल करने वाले लोग (गैर-आईएलआई-मरीज) और गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया जाएगा. जबकि, उच्च जोखिम वाली आबादी के बीच, स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों का सर्वेक्षण किया जाएगा.
उच्च जोखिम वाली आबादी के चयनित जिलों से, प्रति सप्ताह 100 नमूने और प्रति माह 400 नमूने एकत्र किए जाएंगे. जबकि नमूने कम जोखिम वाली आबादी के बीच से प्रति सप्ताह 50 नमूने और प्रति माह 200 एकत्र किए जाएंगे.
इस तरह, प्रति सप्ताह 200 नमूने और प्रति माह 800 नमूने कुल मिलाकर एकत्र किए जाएंगे.
नमूना (सैंपल) परीक्षण:
मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि प्रयोगशाला और पूलिंग के लिए, नमूनों का परीक्षण एक बार में केवल 25 नमूने के पूल में किया जाना चाहिए. इन सभी नमूनों का परिणाम केवल निगरानी उद्देश्य के लिए होगा और इसका उपयोग व्यक्तिगत रोगियों के निदान के लिए नहीं किया जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि नाक/ गले के स्वैब्स के अलावा, एलिसा परीक्षण के लिए आईजीजी एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए रक्त के नमूने भी एकत्र किए जाने चाहिए. निगरानी उद्देश्य के लिए आगे के दौर में, आईजीजी एलिसा आधारित सीरम नमूनों का परीक्षण आरटी-पीसीआर आधारित परीक्षण का स्थान लेगा.
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