कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron COVID-19 variant) का खौफ धीरे-धीरे फैल रहा है. आपको बता दें कि उसके संक्रमण की गति काफी ज्यादा तेज है. विशेषज्ञों ने सरकार को चेताया है और जीनोम सीक्वेंसिंग तेज करने की अपील की है. एस-जीन पीसीआर टेस्टिंग पर निर्भरता बढ़ाने का सुझाव दिया है. वायरस के प्रसार को रोकने और स्थिति के आकलन हेतु यह बेहद जरूरी है.
विश्वभर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जब ओमिक्रॉन से पीड़ित व्यक्ति की जांच की जाए तो यह जानना जरूरी है कि क्या एस जीन (S-Gene) ड्रॉप आउट हुआ है. आइए समझते हैं कि ओमिक्रॉन की जांच पद्धत्ति में S-Gene फैक्टर पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है.
एस-जीन क्या है?
एस-जीन एस जीन लक्ष्यों में से एक है जो उत्परिवर्तन के कारण पता नहीं चला है. इसे एस जीन ड्रॉपआउट या एस जीन लक्ष्य विफलता कहा जाता है, जो ओमाइक्रोन प्रकार की पहचान करने के लिए एक मार्कर है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्या कहा?
डब्लूएचओ ने भी दुनिया भर की प्रयोगशालाओं और जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली वैज्ञानिक संस्थाओं को S-Gene फैक्टर की जांच करने का निर्देश दिया है. ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट कितनी तेजी से फैल रहा है. इससे ओमिक्रॉन के संक्रमण से संबंधित शुरुआती और पुख्ता जानकारी मिलने लगेगी.
ओमिक्रॉन की जांच
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि फिलहाल ओमिक्रॉन की जांच के लिए जरूरी किट का विकास किया जा रहा है. तब तक जीनोम सिक्वेंसिंग का सहारा लेना पड़ेगा. इसकी जांच के लिए किट में RNaseP और बीटा एक्टिन की जरूरत होगी. वायरस के वैरिएंट की बाहरी परत पर मौजूद S-Gene की गैर-मौजूदगी की जानकारी होगी, तुरंत यह पता चल जाएगा कि यह ओमिक्रॉन वैरिएंट है.
30 से ज्यादा म्यूटेशन
ओमिक्रॉन वैरिएंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं. यानी यह वुहान से निकले पहले कोरोना वायरस अल्फा से बहुत अलग है. इसमें ऐसे बदलाव हुए हैं, जो आजतक देखे ही नहीं गए हैं. ज्यादातर कोरोना वायरस वैरिएंट्स ने म्यूटेशन के बाद अपनी बाहरी कंटीली प्रोटीन परत यानी स्पाइक प्रोटीन में बदलाव किया था. इसी स्पाइक प्रोटीन को कमजोर करने के लिए विश्वभर की दवा कंपनियों ने वैक्सीन बनाई.
जीनोम सिक्वेंसिंग: एक नजर में
जब जीनोम सिक्वेंसिंग होती है तब वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश करते हैं कि सैंपल में मिले कोरोना वायरस का जेनेटिक मैटेरियल यानी DNA या RNA का स्ट्रक्चर कैसा है. फिर इसके अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है.
ओमीक्रोन के लक्षण क्या हैं?
दक्षिण अफ्रीका में अब तक संक्रमित ज्यादातर लोग युवा हैं और उनके लक्षण हल्के रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह वैरिएंट डेल्टा से अलग लक्षण पैदा कर सकता है. फिलहाल, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ओमीक्रोन के लक्षण अन्य प्रकारों से अलग हैं. इसका मतलब है कि एक नई खांसी, बुखार और स्वाद या गंध की कमी अभी भी मुख्य तीन लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए.
ओमीक्रोन एवं अन्य वैरिएंट में क्या अंतर है?
ओमीक्रोन संस्करण में बहुत से भिन्न उत्परिवर्तन हैं जो पहले नहीं देखे गए हैं. उनमें से एक बड़ी संख्या वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर है, जो कि अधिकांश टीकों का लक्ष्य है और यही मुख्य चिंता का विषय है.
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