देश के दो अन्य मार्गों बेंगलुरु-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई पर हाइपरलूप ट्रेन चलाई जाएगी. हाइपरलूप ट्रेन की रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी अधिक होगी. इसके लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई, जिसमे भारत की दो टीमों का चयन किया गया.
हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजीज इंक (एसटीटी) ने पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश इकोनॉमिक डेवलपमेंट बोर्ड के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. हाइपरलूप ट्रेन बुलेट ट्रेन ही नहीं हवाई जहाज से भी अधिक तेज चलती है.
टीमों का चयन-
- हाईस्पीड ट्रेन के लिए हाइपरलूप वन ने वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एईसीओएम इंडिया और हाइपरलूप इंडिया को चुना. वैश्विक प्रतिस्पर्धा यह दोनों टीमें 10 विजेता टीमों में सम्मिलित हैं.
- हाइपरलूप वन ने देश में नए रूटों की पहचान की है. दोनों का चयन कम दबाव वाली ट्यूब का इस्तेमाल करने हेतु किया गया. एईसीओएम इंडिया बेंगलुरु-चेन्नई रूट के लिए जबकि हाइपरलूप इंडिया मुंबई-चेन्नई रूट के लिए चुनी गई. अन्य टीमें अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको और कनाडा की हैं.
- हाईस्पीड ट्रेन का पहला रूट मुंबई-चेन्नई का चुना गया है. इसकी जिम्मेवारी एईसीओएम इंडिया को प्रदान की गई है. इस रेल मार्ग की लम्बाई 1102 किलोमीटर है. वर्तमान में इस मार्ग को टी करने में ट्रेन से लगभग 21 घंटे लगते हैं. हाइपरलूप ट्रेन से यह दूरी मात्र 63 मिनट में ही तय की जा सकेगी.
- हाईस्पीड ट्रेन दूसरा रूट बेंगलुरु-चेन्नई चयनित किया गया है. इसकी जिम्मेवारी हाइपरलूप इंडिया को प्रदान की गई है. इस रेल मार्ग की लम्बाई 334 किलोमीटर है. वर्तमान में इस मार्ग को टी करने में ट्रेन से लगभग 6 से 7 घंटे लगते हैं. हाइपरलूप ट्रेन से यह दूरी मात्र 23 मिनट में ही तय की जा सकेगी.
हाइपरलूप ट्रेन की विशेषता-
- वर्ष 2012 में एलन मस्क ने न्युमैटिक ट्यूब ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई और इसे हाइपरलूप का नाम दिया.
- यह बुलेट ट्रेन से दोगुने रफ्तार से दौड़ेगी.
- रफ्तार के मामले में यह हवाई जहाज से भी तेज होगी.
- साथ ही इसके इस्तेमाल में बिजली का खर्चा बहुत कम होगा और वायु प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा.
- इसमें एक बार में कम लोग ही सफर कर पाएंगे.
अमेरिका में प्रशिक्षण-
इस तकनीक का अभी तक दुनियाभर में कहीं भी विस्तार नहीं हुआ है. लांस एंजिलिस स्थित हाइपरलूप वन ने जुलाई में इसका नेवादा रेगिस्तान में प्रशिक्षण किया. 500 मीटर लंबे ट्रैक पर यह ट्रेन 310 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से दौड़ी.
हाइपरलूप ट्रेन की कार्य प्रणाली-
- हाइपरलूप चुंबकीय शक्ति पर आधारित ट्रैक पर चलाई जाएगी. इसे चलाने के लिए खंभों के ऊपर एक पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाएगी, जिसके भीतर ट्रेन कैप्सूल के शक्ल जैसी एक सिंगल बोगी से गुजरेगी.
- खंभों के ऊपर पारदर्शी ट्यूब के भीतर हाइपरलूप ट्रेन को भारी दबाव वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाएगा. इसके बाद स्की में छेदों के मध्यम से दबाव बनाकर हवा भरी जाएगी. स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ही ट्रेन को गति मिलेगी.
- हाइपरलूप लो-प्रेसर ट्यूब के अंदर पॉड जैसे वाहन का परिचाल सुनिश्चित करने के लिए है.
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