आईबीबीआई और सेबी ने आईबीसी के कार्यान्वयन हेतु समझौता किया

Mar 20, 2019, 12:50 IST

इसके तहत संहिता के बेहतर कार्यान्‍वयन के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने पर सहमति बनी है. हालांकि, इस संबंध में लागू कानूनों द्वारा तय की गई सीमाओं को ध्‍यान में रखना होगा.

IBBI, SEBI sign MoU for better implementation of IBC
IBBI, SEBI sign MoU for better implementation of IBC

भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने 19 मार्च 2019 को दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के बेहतर कार्यान्वयन के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर कि‍ए.

सहमति पत्र (एमओयू) पर सेबी के कार्यकारी निदेशक आनंद बैवर और आईबीबीआई के कार्यकारी निदेशक रितेश कावडिया ने मुम्‍बई में हस्‍ताक्षर किए.

इसके तहत संहिता के बेहतर कार्यान्‍वयन के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने पर सहमति बनी है. हालांकि, इस संबंध में लागू कानूनों द्वारा तय की गई सीमाओं को ध्‍यान में रखना होगा.

आईबीबीआई और सेबी दरअसल दिवाला एवं दि‍वालियापन स‍ंहिता, 2016 और इससे संबंधित नियम-कायदों पर कारगर ढंग से अमल किए जाने के पक्ष में हैं, जिन्‍होंने डेट एवं इक्विटी के आपसी मेल-जोल को नए सिरे से परिभाषित किया है और जिनका उद्देश्‍य उद्यमिता एवं डेट मार्केट को बढ़ावा देना है.

एमओयू में निम्‍नलिखि‍त बातों का उल्‍लेख किया गया है:

•   दोनों पक्षों के बीच सूचनाओं को साझा किया जा सकेगा. हालांकि, इस संबंध में लागू कानूनों द्वारा तय की गई सीमाओं को ध्‍यान में रखना होगा.

•   आपसी हितों वाले विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए समय-समय पर बैठकें की जाएंगी. एक-दूसरे की जवाबदेही पर असर डालने वाली निया‍मकीय आवश्‍यकताएं, प्रवर्तन से जुड़े मामले, अनुसंधान एवं डेटा विश्‍लेषण और सूचना प्रौद्योगिकी एवं डेटा को साझा करना इन वि‍षयों में शामिल हैं.

•   इसके अलावा, कोई भी ऐसा अन्‍य मुद्दा इनमें शामिल है जिनके बारे में संबंधित पक्षों को यह प्रतीत होता है कि उनकी संबंधित वैधानिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में वह एक-दूसरे के हित में होगा.

•   एक-दूसरे के साथ उपलब्‍ध संसाधनों को उस हद तक साझा किया जा सकेगा जिस हद तक यह व्‍यवहार्य और कानूनन उचित होगा.

•   एक-दूसरे के कर्मचारियों या स्‍टाफ को प्रशिक्षण देना, ताकि प्रत्‍येक पक्ष को सामूहिक संसाधनों के कारगर उपयोग के लिए दूसरे पक्ष के मिशन की बेहतर समझ हो सके.

•   दिवाला से जुड़े प्रोफेशनलों और वित्तीय ऋणदाताओं का क्षमता निर्माण करना.

•   संहिता के विभिन्‍न प्रावधानों, इत्‍यादि के तहत मुश्किलों से जूझ रहे विभिन्न तरह के कर्जदारों के लिए त्‍वरित दिवाला समाधान प्रक्रिया की अहमियत एवं आवश्‍यकता के बारे में वित्तीय ऋणदाताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्‍त रूप से प्रयास करना.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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