भारत और जर्मनी ने 04 दिसम्बर 2017 को विभिन्न ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर किए. भारत और जर्मनी ने पर्यावरण अनुकूल शहरी गतिशीलता परियोजना के वित्तीय सहायता के लिए 200 मिलियन यूरो और 4 परियोजनाओं के अनुदान के रुप में 11 मिलियन यूरो का समझौता किया. दोनों देशों ने ‘पर्यावरण अनुकूल शहरी गतिशीलता III’ परियोजना हेतु यह समझौतों किया.
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समझौते पर जर्मनी की ओर से भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. मार्टिन नेय और भारत की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव एस. सेल्वाकुमार ने हस्ताक्षर किए. समझौते के भाग-1 में मई 2017 में हस्ताक्षर किए जा चुके हैं.
भारत और जर्मनी ने निम्नलिखित ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर किए:-
- मणिपुर के लिए 15 मिलियन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस परियोजना का विस्तृत उद्देश्य जल ग्रहण वाले ऊपरी क्षेत्रों में नष्ट हो चुके जंगलों को बहाल करना, छोड़े गए कृषि क्षेत्रों में भूमि सुधार, जैव विविधता संरक्षण, जल संसाधन संरक्षण और परियोजना वाले क्षेत्र में वनों पर निर्भर ग्रामीण जनजातीय लोगों की आजीविका में सुधार करना है.
- महाराष्ट्र में हरित ऊर्जा गलियारा- अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली परियोजना हेतु कम ब्याज दर पर 12 मिलियन यूरो के ऋण का समझौता किया गया. परियोजना का मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा ले जाने के लिए पारेषण प्रणाली स्थापित करना है.
- मध्य प्रदेश शहरी स्वच्छता और पर्यावरण कार्यक्रम परियोजना हेतु कम ब्याज दर पर 50 मिलियन यूरो के ऋण और 2.5 मिलियन यूरो के अनुदान का समझौता किया गया. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश के कुछ चुने हुए क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति, स्वच्छता और सीवरेज शोधन संयंत्र की सुविधा में सुधार और कुछ शहरों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन और उसके निपटारे की प्रणाली में सुधार, बाढ़ के पानी को कम करने के लिए जमीनी निकासी प्रणाली में सुधार करना है.
- निरंतर शहरी बुनियादी ढांचा विकास ओडिशा-चरण II परियोजना हेतु कम ब्याज दर पर 55 मिलियन यूरो के ऋण और 2 मिलियन यूरो के अनुदान का समझौता किया गया. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य शहरी बुनियादी ढांचे को सरकार की प्राथमिकताओं से जोड़कर उनमें सुधार करना है. परियोजना का विस्तृत उद्देश्य ओडिशा में शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार करना और लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करना है.
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