भारत और इंडोनेशिया के बीच समन्वयित गश्त का आयोजन इंडोनेशिया में किया जा रहा है. हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के इरादे से भारत और इंडोनेशिया के बीच यह आयोजन चल रहा है.
इसका आयोजना इंडोनेशिया के बेलवन में 12 अक्टूबर से 27 अक्टूबर 2018 के बीच किया जा रहा है. भारत और इंडोनेशिया के बीच तीन दशक से चल रहे अभ्यास इंड- इंडो कारपैट- 2018 का 32 वां संस्करण है. इस संयुक्त गश्त में दोनों देशों के पोत तथा एयरक्राफ्ट हिस्सा ले रहे हैं, दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के 236 नॉटिकल मील के क्षेत्र में गश्त करेंगे.
उद्देश्य: |
इस गश्त के आयोजन से इंडोनेशिया के साथ भारतीय नौसेना तथा इन्डोनेशियाई नौसेना के बीच संबंधों में मजबूती आएगी. इस गश्त का उद्देश्य मित्र देशों के साथ भारत की शांतिप्रिय उपस्थिति तथा एकजुटता को व्यक्त करना है. इस साझा गश्त और नौसैनिक अधिकारियों का एक-दूसरे के यहां दौरा समु्द्री इलाके में एकजुटता और शांतिपूर्ण मौजूदगी दिखाने के इरादे से आयोजित की जाती है. |
इंड-इंडो कारपैट- 2018:
• इंडोनेशिया में साझा समुद्री गश्त के लिये भारतीय नौसेना का कोरा वर्ग का मिसाइल कार्वेट आईएनएस कुलिश 11 अक्टूबर 2018 को इंडोनेशिया के बेलावन हार्बर पर पहुंचा.
• इस पोत के साथ भारतीय नौसेना का समुद्र टोही विमान डार्नियर भी अपने अंडमान स्थित नौसैनिक अड्डे से बेलावन पहुंचा जो पूरे समुद्री इलाके पर उड़ान भर कर समुद्री सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले तत्वों पर निगाह रखेगा.
• इस गश्त का आयोजन तीन चरणों में किया जायेगा, इसका समापन अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में एक समारोह में किया जायेगा.
• इस गश्त में आईएनएस कुलिश तथा डोर्नियर समुद्री गश्ती विमान अंदमान व निकोबार कमांड से हिस्सा ले रहे हैं.
• इस साझा गश्त के दौरान दोनों नौसेनाएं अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा के 236 किलोमीटर के दायरे में अपने युद्धपोत तैनात रखेंगी.
पृष्ठभूमि:
हिंद महासागर के इलाके में समुद्री चिंताओं को दूर करने के लिये भारतीय नौसेना के पोत हाल के वर्षों में तैनात होते रहे हैं. भारतीय नौसैनिक पोत हिंद महासागर के तटीय देशों को उनके विशेष आर्थिक क्षेत्रों की चौकसी, राहत व बचाव और अन्य क्षमता निर्माण गतिविधियों में मदद करते रहे हैं. दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी के तहत भारतीय तथा इन्डोनेशियाई नौसेनाएं 2002 से साल में दो बार समन्वयित गश्त का अभ्यास करती हैं. इससे दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी समझ भी बेहतर होती है.
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