भारत और स्विटजरलैंड के मध्य स्वत: सूचना आदान-प्रदान (एईओआई) के क्रियान्वयन संबंधी संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए.
संयुक्त घोषणा पत्र पर भारत की ओर से प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्रा और स्विटजरलैंड सरकार की ओर से भारत में स्विस दूतावास के डेप्यूटी चीफ ऑफ मिशन गिल्स रोड्यूट ने सूचना के स्वत: आदान - प्रदान (एईओआई) के हस्ताक्षर किए.
संयुक्त घोषणा पत्र के लाभ-
- इसके परिणामस्वरूप अब स्विटजरलैंड में 2018 से खोले गए भारतीय नागरिकों के खातों की वित्तीय लेन-देन की सूचना सितंबर, 2019 और इसके बाद भारत को स्वत: ही मिलना प्रारम्भ हो जाएगा.
- विदेशी खातों में जमा काले धन को समाप्त करना वर्तमान सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है.
- संयुक्त घोषणा पत्र में संघीय परिषद के एईओआई अधिनियम पर संघीय अधिनियम के प्रावधानों का कार्यान्वयन शामिल है.
- इसमे विशेष तौर पर अन्य वित्तीय संस्थानों तथा छूट वाले खातों का जिक्र है और इसमें स्विस वित्तीय संस्थानों के लिए परिसंपत्तियों तथा देनदारियों की अनिवार्यताओं और जानकारी मुहैया कराने से जुडे ब्योरे का नियमन किया जाता है.
- इसके अलावा संयुक्त घोषणा पत्र में ऐसे प्रावधान हैं जिनका कार्यान्वयन सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के लिए आवश्यक है.
- स्विट्जरलैंड के साथ कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान का समझौता होने से भारत को अवैध धन के प्रवाह पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
पृष्ठभूमि-
- केंद्र सरकार ने मई 2016 में सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर अध्यादेश लाने की योजना तैयार की थी.
- स्विस फेडरल काउंसिल ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई अधिनियम) पर अध्यादेश हेतु उस समय सहमती व्यक्त की थी.
- भारत सहित 100 देशों और क्षेत्राधिकारों ने एईओआई मानक के कार्यान्वयन हेतु कर सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारदर्शिता संबंधी वैश्विक मंच के साथ जुड़ने की अपनी मंशा का खुलासा किया.
- इससे पहले स्विट्जरलैंड ने एईओआई पेश किए जाने के संबंध में यूरोपीय संघ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया.
- कई अन्य देशों और क्षेत्राधिकारों के साथ एमसीएए के आधार पर संयुक्त घोषणा की है.
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