संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत को 189 देशों में 131वां स्थान प्राप्त हुआ है. इसमें पिछले साल भारत 129वें पायदान पर था, यानी कि इस साल भारत 2 पायदान नीचे खिसक गया है.
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है. हालांकि, यूएनडीपी का कहना है कि सूची में भारत के फिसलने का यह मतलब कतई नहीं कि वहां काम नहीं हो रहा है, बल्कि इसका अर्थ यह है कि अन्य देशों ने बेहतर काम किया है.
मानव विकास सूचकांक क्या है?
मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय सूचकांक है जिसमें जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और आय सूचकांकों को शामिल किया जाता है. मानव विकास सूचकांक में किसी देश के जीवन स्तर को मापा जाता है. इसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तथा उपलब्ध स्वास्थ्य एवं शिक्षा के स्तर आदि को भी देखा जाता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला मानव विकास सूचकांक साल 1990 में जारी किया गया था. प्रत्येक वर्ष इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित किया जाता है.
जीवन प्रत्याशा के मामले में
मानव विकास रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, साल 2019 में जन्मे भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 69.7 साल आंकी गई, जबकि बांग्लादेश में यह 72.7 साल रही. जीवन प्रत्याशा के मामले में पड़ोसी देश पाकिस्तान पीछे रहा. वहां जीवन प्रत्याशा 67.3 साल आंकी गई.
India ranks 131 in the United Nations Development Programme's (UNDP)) Human Development Index.
— ANI (@ANI) December 17, 2020
Norway tops the index.
Sri Lanka ranks 72, China at 85 and Bangladesh at 133 and Pakistan at 154 pic.twitter.com/5KnD13D2LF
नॉर्वे पहले स्थान पर
रिपोर्ट के मुताबिक, मानव विकास सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर रहा, जबकि आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग व आइसलैंड क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे.
मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका और भूटान जैसे छोटे देश भी सूचकांक में भारत से अच्छा हैं. मालूम हो कि श्रीलंका 72वें और भूटान 129वें स्थान पर है. वहीं भारत के पड़ोसी श्रीलंका और चीन क्रमशः 72वें और 85वें स्थान पर हैं.
मानव विकास सूचकांक में पड़ोसी देश
मानव विकास सूचकांक में भूटान (129), बांग्लादेश (133), नेपाल (142), म्यांमार (147), पाकिस्तान (154) और अफगानिस्तान (169) आदि मध्यम मानव विकास की श्रेणी वाले देशों में शामिल रहे. भारत साल 2018 में इस सूची में 130वीं रैंक पर रहा था.
मानव विकास सूचकांक में 189 देश शामिल
मानव विकास सूचकांक में 189 देश शामिल रहे. भारत का एचडीआइ मूल्य 0.645 रहा. इसके कारण ही भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में शामिल होना पड़ा और दो अंक फिसलकर 131वें स्थान पर आ पहुंचा.
क्रय शक्ति समता: एक नजर में
यूएनडीपी की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर साल 2018 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय 6,829 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग पांच लाख रुपये थी. यह साल 2019 में घटकर 6,681 डॉलर यानी 4.91 लाख हो गई. पीपीपी विभिन्न देशों की कीमतों का पैमान है.
भारत में स्कूल में पढ़ने की औसत अनुमानित अवधि
भारत में स्कूल में पढ़ने की औसत अनुमानित अवधि 12.2 साल रही. इसमें भारत दूसरे देशों के मुकाबले 125वें स्थान पर है. स्कूली शिक्षा हासिल करने की असल अवधि इससे भी नीचे 6.5 साल ही रही. भारत में विशेष रूप से लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा कुपोषण देखने को मिल रहा है. इसकी वजह लड़कियों के प्रति माता-पिता का व्यवहार और लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकारी निवेश में गिरावट है.
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