जी-4 राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की धीमी गति के प्रति चिंता व्यक्त की

Sep 28, 2018, 16:11 IST

इस बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, 'विदेश मंत्रियों ने सुरक्षा परिषद में सुधार के मसले पर चर्चा की और अपने राजनयिकों को सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तरीकों पर गौर करने को कहा.'

India G4 nations raise concerns
India G4 nations raise concerns

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को लेकर जी-4 देशों के बीच बैठक आयोजित की गई. इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया में कोई ठोस प्रगति नहीं होने पर जी-4 देशों भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान ने चिंता जताई है.

इन देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि यह प्रक्रिया लंबे समय से ठंडे बस्ते में है. संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली संस्था के औचित्य और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए इसमें शीघ्र सुधार की जरूरत है.

बैठक के मुख्य बिंदु

•    संयुक्त राष्ट्र में स्थित भारतीय मिशन में जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई.

•    भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मेजबानी में हुई इस बैठक में सुधार प्रक्रिया की समीक्षा की गई.

•    इस बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, 'विदेश मंत्रियों ने सुरक्षा परिषद में सुधार के मसले पर चर्चा की और अपने राजनयिकों को सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तरीकों पर गौर करने को कहा.'

•    सुधार की इस प्रक्रिया को अंतर सरकारी वार्ता के तौर पर जाना जाता है. जी-4 के चारों देश सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रमुख पक्षधर हैं.

•    विदेश मंत्रियों द्वारा दिये गए सामूहिक बयान में संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था की कार्यपद्धति को मज़बूत करने के साथ-साथ एक-दूसरे की उम्मीदवारी के लिये उनके समर्थन पर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई

जी-4 समूह

सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग के लिये जापान, जर्मनी, भारत और ब्राज़ील ने जी 4 के नाम से एक गुट बनाया है और स्थायी सदस्यता के मामले में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं. सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में विस्तार का यूएफसी देश विरोध करते हैं. इनमें इटली, पाकिस्तान, मैक्सिको, मिस्र, स्पेन, अर्जेंटीना और दक्षिण कोरिया जैसे 13 देश शामिल हैं, जिन्हें 'कॉफ़ी क्लब' कहा जाता है. यह देश स्थायी सदस्यता के विस्तार के पक्षधर न होकर अस्थायी सदस्यता के विस्तार के समर्थक हैं.



सुरक्षा परिषद

यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में हुआ था और इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, रूस और चीन) हैं. सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के उस शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है, जब सुरक्षा परिषद का गठन किया गया था. इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है. स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनाए जाते हैं.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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