भारत ने चेनाब नदी पर अपनी दो पनबिजली परियोजनाओं के बारे में पाकिस्तान की आपत्तियों को खारिज कर दिया है. सिंधु जलसंधि पर पाकिस्तान के साथ उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बातचीत पूरी होने पर यह बात कही गई. यह दो दिवसीय बातचीत थी.
इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली आधिकारिक बातचीत थी. बातचीत पूरी होने के बाद, पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त सैयद मेहर अली शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई ब्योरा और कोई बयान नहीं दिए जाएंगे.
बैठक के मुख्य बिंदु
• भारत ने चेनाब नदी पर 1000 मेगावाट की पाकल दुल बांध और 48 मेगावाट लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण पर पाकिस्तान की आपत्तियां खारिज कर दीं.
• भारत ने पाकिस्तान को आमंत्रित किया है कि वह अपने विशेषज्ञों को अगले महीने पाकल दुल बांध और लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं के स्थल पर भेजे ताकि उसकी आशंकाएं दूर की जा सकें.
• पाकिस्तानी अधिकारियों ने पाकल दुल बांध की ऊंचाई पांच मीटर कम करने के लिए कहा लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उसे मानने से इन्कार कर दिया.
• लोअर कालनाल प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तानी अधिकारियों ने कुछ तकनीक आधारित चिंताएं व्यक्त की थीं.
सिंधु जल संधि क्या है?
• सिंधु जल संधि सिंधु एवं इसके सहायक नदियों के जल के अधिकतम उपयोग के लिए भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार के बीच की गई संधि है.
• 19 सितंबर, 1960 को कराची (पाकिस्तान) में पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंक (अब विश्व बैंक) की मध्यस्थता में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे.
• इस संधि के अंतर्गत तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलुज और उनकी सहायक नदियां) और तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब और उनकी सहायक नदियां) के जल वितरण और हिस्सेदारी की व्यवस्था की गई है.
पाकिस्तान की आपत्ति |
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