संयुक्त राष्ट्र द्वारा परमाणु हथियारों को निषिद्ध करने से सम्बंधित कांफ्रेस हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित की गयी. इसका शीर्षक था, परमाणु हथियारों को निषिद्ध करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन उपलब्ध कराना. इस कांफ्रेस में 100 से अधिक देशों ने भाग लिया.
इस कांफ्रेस का 40 से अधिक देशों के गठबंधन ने विरोध प्रकट किया. इन देशों में फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत जैसे देश शामिल हैं. नई दिल्ली ने यह निर्णय स्वायत्त रूप से लिया. कांफ्रेस के बाकी कार्यक्रमों तथा इसकी रूप रेखा पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने परमाणु प्रतिबंध वार्ता के उद्घाटन के दिन कहा था कि वार्ता का उल्लंघन करने वाले देश हथियारों के अप्रसार के लिए प्रतिबद्ध हैं. हेली ने कहा कि एक पत्नी और एक मां होने के नाते वे चाहेंगी कि यह विश्व परमाणु हथियारों के बगैर शांति पूर्वक रहे लेकिन अमेरिका के लिए भी परमाणु हथियार न होने के कारण विश्व असुरक्षित था.
मुख्य बिंदु
• फ्रांस एवं यूके के प्रतिनिधियों ने भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा परमाणु हथियारों पर लगाए गये इस प्रतिबन्ध का विरोध करते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों से इनपर प्रतिबन्ध नहीं लगाया जाना चाहिए.
• वह देश जिन्होंने प्रतिबन्ध लगाये जाने का समर्थन किया वे हैं – ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, मेक्सिको, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका एवं स्वीडन. इन देशों को सैंकड़ों एनजीओ का समर्थन प्राप्त है.
• जापान जो इकलौता देश है जिसने 1945 में परमाणु हमले को झेला था उसने भी बातचीत के ख़िलाफ़ वोट दिया था.
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