भारत की रक्षा के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पदक प्राप्त करने का गौरव इस बार वायु सेना के कमांडो को शहादत उपरांत हासिल हुआ है. गणतंत्र दिवस 2018 के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहली बार ग्राउंड ऑपरेशन के लिए वायुसेना के शहीद गरुड़ कमांडो जे.पी. निराला को अशोक चक्र से सम्मानित करेंगे.
पिछले वर्ष 18 नवंबर को जम्मू और कश्मीर के बंदीपोरा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान निराला शहीद हुए थे. निराला गरुड़ कमांडो की उस टीम का हिस्सा थे जिसने कुख्यात आतंकी जकी उर रहमान लखवी के भतीजे ओसामा जंगी को मौत के घाट उठाया था. इस एनकाउंटर में 6 आतंकी मारे गए थे.
आतंकी मुठभेड़
कमांडो जे.पी. निराला शहीद होने से तीन महीने पहले ही आतंकरोधी अभियान के तहत स्पेशल ड्यूटी पर बांडीपोर में सेना के साथ तैनात हुए थे. श्रीनगर में इसी ऑपरेशन के दौरान सेना की ओर से की गई कर्रवाई में आतंकी मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद को मारा गया था.
सुरक्षा बलों को जम्मू-कश्मीर के हाजिन इलाके में आतंकवादी होने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद उन्होंने वहां घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया. तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों ने सुरक्षा बलों के तलाशी दल पर हमला किया. आतंकियों से मुकाबला करने लिए कमांडो निराला ने अपने हाथ में गन ली और आतंकियों पर टूट पड़े. उन्होंने तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. इस मुठभेड़ में वे भी शहीद हो गए.
शहीद कमांडो जे.पी. निराला
शहीद निराला बिहार के रोहतास जिले के बडीलाडीह गांव के रहने वाले थे. उन्होंने वर्ष 2005 में वायु सेना ज्वाइन की थी. जेपी निराला के परिवार में उनके बाद उनकी बहने और माता-पिता हैं. निराला जिस वक्त देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए, उनकी उम्र सिर्फ 31 साल थी. निराला वायु सेना के पहले एयरमैन हैं, जिन्हें ग्राउंड ऑपरेशन के लिए मरणोपरांत यह सम्मान दिया जाएगा.
अशोक चक्र (पदक)
अशोक चक्र (पदक) भारत का शांति के समय का सर्वश्रेष्ठ वीरता पुरस्कार है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है. इस पुरस्कार को श्रेष्ठता के तीन स्तरों पर दिया जाता है. वर्ष 1960 से यह पदक देने का क्रम आरंभ किया गया. यह पदक थलसेना, वायुसेना, नौसेना तीनों के लिए अलग-अलग देना सुनिश्चित किया गया.
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