भारतीय रेलवे बोर्ड ने देशभर के स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए गठित भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) को बंद करने का आदेश जारी किया है. रेल मंत्रालय इस समय देश भर के रेलवे स्टेशनों का नए सिरे से विकास कर रहा है. इसके लिए भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (Indian Railway Station Development Corporation) का गठन किया गया था.
इसी संगठन ने आनंद विहार टर्मिनल, चंडीगढ़, ग्वालियर, हबीबगंज समेत कई बड़े स्टेशनों को निजी हाथों (Private Hands) में सौंपने के लिए टेंडर निकाली हुई है. रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) के तहत यह दूसरा संगठन है, जिसे बंद करने का आदेश जारी किया गया है. इससे पहले सात सितंबर, 2021 को भारतीय रेलवे वैकल्पिक ईंधन संगठन (आईआरओएएफ) को बंद किया गया था.
बोर्ड ने यह कदम क्यों उठाया?
रेलवे बोर्ड ने यह कदम वित्त मंत्रालय की सिफारिश लागू करने की दिशा में उठाया है. वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि सरकार निकायों को बंद करके या विभिन्न मंत्रालयों के तहत कई संगठनों का विलय करके उन्हें युक्तिसंगत बनाया जाए. रेलवे बोर्ड द्वारा 18 अक्टूबर को देर रात जारी आदेश में कहा गया है कि आईआरएसडीसी जिन स्टेशनों का प्रबंधन करता है, उन्हें संबंधित जोनल रेलवे को सौंपा जाएगा. निगम आगे के विकास के लिए परियोजनाओं संबंधी सभी दस्तावेज भी जोनल रेलवे को सौंप देगा.
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के पुनर्विकास
अन्य कई परियोजनाओं के अलावा यह निगम मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के पुनर्विकास के लिए बोली प्रक्रिया में भी शामिल था. आईआरएसडीसी ने हाल ही में चंडीगढ़ और केएसआर बेंगलुरु रेलवे स्टेशनों पर ‘रेल आर्केड’ की स्थापना के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं. इसने पूरे दक्षिण भारत में 90 रेलवे स्टेशनों के सुविधा प्रबंधन की योजना की भी घोषणा की थी.
रेलवे बोर्ड के आदेश में क्या कहा गया?
रेलवे बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि आईआरएसडीसी जिन स्टेशनों का प्रबंधन करता है, उन्हें संबंधित क्षेत्रीय रेलवे को सौंपा जाएगा. इसी के साथ निगम आगे के विकास के लिए परियोजनाओं संबंधी सभी दस्तावेज भी उन्हें सौंपेगा. एक दशक से भी कम पुराने संगठन के बंद होने से भी कई लोग स्तब्ध हैं.
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम क्यों बनी थी?
रेलवे बोर्ड ने देश भर के स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (IRSDC) का गठन किया था. इसका गठन 12 अप्रैल 2012 को हुआ था. इसे एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी के रूप में शुरू किया गया था. इसमें रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी, राइट्स और इरकॉन इंटरनेंशनल लिमिटेड की हिस्सेदारी थी. इसमें जहां आरएलडीए की 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी वहीं राइट्स की 24 प्रतिशत जबकि इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (इरकॉन) की 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation