गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले एशियाई शेरों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. हाल ही में की गई गणना के अनुसार एशियाई शेरों की जनसंख्या बढ़कर 600 से अधिक हो गई है.
1960 के दशक में एशियाई शेरों की संख्या मात्र 160 के आसपास थी. इतनी कम संख्या को देखते हुए वनीय संरक्षण कार्यक्रम आरंभ किये गये तथा एशियाई शेरों की जनसंख्या बढ़ने में सफलता प्राप्त की गई. इस बीच शेरों का आवास क्षेत्र 22 हजार वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित हो गया है, जो पांच साल में लगभग दोगुना हो चुका है.
इससे पूर्व वर्ष 2015 की गणना के अनुसार शेरों की संख्या 109, शेरनियों की संख्या 201 और अल्प वयस्क शेरों तथा शावकों की संख्या 213 है, जबकि 2010 में शेरों की संख्या 97, शेरनियों की संख्या 162 और शावकों की संख्या 152 थी.
एशियाई शेर
• एशियाई सिंह शेर की एक प्रजाति है जो केवल भारत के गुजरात राज्य में पायी जाती है. इसलिये इसे 'भारतीय शेर' भी कहते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा-लियो-पेरसिक है.
• यह माना जाता है कि एशियाई शेर अफ़्रीकी शेरों के संबंधी हैं जो 100000 वर्ष अलग हो गये थे.
• एशियाई शेर थोड़े छोटे होते हैं और उनके पेट की त्वचा पर विशिष्ट फोल्ड होता है.
• मादा शेर की लंबाई 1.4 से 1.75 मीटर और नर सिंह की लंबाई 1.7 से 2.5 मीटर होती है। इनकी पूंछ की लंबाई 70 से 105 से.मी. होती है.
• एशियाई शेर पहले पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया में पाए जाते थे परंतु अब सिर्फ ये भारत के गिर के जंगलों में पाए जाते हैं.
• नर सिंह का वजन 160 से 190 किलोग्राम और मादा का वजन 110 से 120 किलोग्राम होता है.
• इनकी जनसंख्या प्रतिवर्ष 2% की दर से बढ़ रही है.
एशियाई शेरों के स्थानांतरण के लिए संरक्षणवादियों का विचार
पहले इन शेरों को विलुप्त होने के कगार पर बताया गया था जिसके बाद इनके संरक्षण के लिए कदम उठाये गये. अब शेरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के बाद, वन्यजीव संरक्षणवादियों ने शेरों में से कुछ को एक अन्य अभयारण्य में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.
संरक्षणवादियों का मानना है कि उनका पुनर्वास मानव-पशु संघर्ष को कम करेगा तथा एक समय पर एक स्थान पर फैलने वाली बीमारी या प्राकृतिक आपदा से एशियाई शेर के सफाए को रोकने में सहायता मिलेगी.
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