Green bonds for climate finance projects: भारत सरकार ने नये क्लाइमेट फाइनेंस प्रोजेक्ट के लिए भारत का पहला ग्रीन बांड जारी किया है. इसकी मदद से सरकार सौर ऊर्जा परियोजनाओं को फाइनेंसियल सपोर्ट प्रदान करेंगे साथ ही इसमे विंड एनर्जी और स्माल हाइड्रो प्रोजेक्ट्स भी शामिल होंगे. सरकार का लक्ष्य है कि देश के क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करने के लिए डोमेस्टिक डेट मार्केट का उपयोग किया जाये.
वित्त मंत्रालय ने कहा, यह ढांचा पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में COP26 में पीएम मोदी द्वारा बताए गए पंचामृत के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है. भारत सरकार ने विश्व बैंक और सिसरो शेड्स ऑफ ग्रीन से ग्रीन बॉन्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए मदद ली थी. सिसरो शेड्स (CICERO Shades) एक डेनिश फर्म है जो ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क पर मदद करती है.
Union Finance Minister @nsitharaman approves India’s First Sovereign Green Bonds Framework
— PIB India (@PIB_India) November 9, 2022
The proceeds generated from the issuance of such bonds will be deployed in Public Sector projects which help in reducing the carbon intensity of the economy.https://t.co/78xXSBddlG
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सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क को मंजूरी:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है. जिसका उपयोग देश में चल रही विभिन्न पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जलवायु-उपयुक्त परियोजनाओं के विकास के लिए किया जायेगा और क्लीन एनर्जी के भविष्य को बढ़ावा दिया जायेगा.
इन ग्रीन बांड्स की मदद से आने वाली इनकम को पब्लिक सेक्टर के प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया जायेगा जो देश में कार्बन इमिशन को कम करने में मददगार साबित होंगे.
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क में क्या है खास?
- सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने की योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022/2023 के बजट में की थी. जिसका उद्देश्य ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए धन का उपयोग करना था.
- सरकार का लक्ष्य अक्टूबर से मार्च के मध्य 160 अरब रुपये (1.93 अरब डॉलर) के ऐसे ग्रीन बांड जारी करना है.
- सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क में कहा गया है कि ग्रीन बॉन्ड से प्राप्त आय का उपयोग 25 मेगावाट से बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स और संरक्षित क्षेत्रों में संचालित बायोमास आधारित बिजली उत्पादन के लिए नहीं किया जाएगा.
ग्रीन फाइनेंस वर्किंग कमेटी लेगी निर्णय:
- चीफ इकोनॉमिक एडवाजर वी अनंत नागेश्वरन (V Anantha Nageswaran) की अध्यक्षता में ग्रीन फाइनेंस वर्किंग कमेटी सरकारी विभागों द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं में से हरित वित्तपोषण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं का चयन करेगी.
- वर्किंग कमेटी ग्रीन प्रोजेक्ट्स को चुनने के लिए पर्यावरण विशेषज्ञों और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा निर्देशित होगी.
- यह वर्किंग कमेटी प्रतिवर्ष नये प्रोजेक्ट्स को चिन्हित करेगी जिनको ग्रीन बांड्स कि मदद से फंड किया जायेगा. साथ ही पैनल यह भी सुनिश्चित करेगा कि जारी फंड 24 महीने के भीतर आवंटित किये जाये.
क्या होता है ग्रीन बांड?
ग्रीन बॉन्ड फिक्स्ड इनकम वाले फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट्स होते है जिनका उपयोग सकारात्मक क्लाइमेट फाइनेंस प्रोजेक्ट्स को फंड करने के लिए किया जाता है. ग्रीन बॉन्ड नई और मौजूदा परियोजनाओं के लिए फंडिंग का एक साधन भी है. इसका उपयोग अक्षय ऊर्जा (renewable energy) ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाता है.
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