दसवें जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) की शुरूआत जयपुर के डिग्गी पैलेस में जानेमाने गीतकार गुलजार की कविता से हुई.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अमेरिकी कवि एन्ने वाल्डमैन, गुलजार तथा आध्यात्मिक लेखक साधगुरू की मौजूदगी में पांच दिनों तक चलने वाले समारोह की शुरूआत की.
इस समारोह की मुख्य विषय है- द फ्रीडम टू ड्रीम इंडिया एट 70. वसुंधरा राजे ने कहा कि जयपुर साहित्य उत्सव की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है तथा इसकी नकल में दूसरे उत्सव भी शुरू हुए हैं जो एक अच्छी बात है.
मुख्यमंत्री ने डिजिटलीकरण की कई योजनाओं को भी सूचीबद्ध किया है जिसमें स्वास्थ्य बीमा और जल संरक्षण, बच्चियों के लिए शिक्षा इत्यादि शामिल है.
साहित्य उत्सव में 250 विचारक, लेखक, नेता एवं लोकप्रिय सांस्कतिक हस्तियों के शामिल होने का कार्यक्रम है. इन पांच दिनों में साहित्य के साथ-साथ अर्थशास्त्र, सियासत, भाषा, अनुवाद, संस्कृति, सिनेमा, कला तथा प्रत्येक उस क्षेत्र पर बात होगी जो जीवन को प्रभावित करते है.
डिग्गी पैलेस खुद अपनी वास्तु शैली से शिल्प की कविता कहता सा नजर आता है.
जयपुर साहित्य उत्सव में न केवल पूर्व पश्चिम के साहित्य का समागम है बल्कि दक्षिण एशिया के देशों को जोड़ने का भी काम करता है. यह पिछले कई सालों से अदब के जरिये हिन्द-ओ-पाक के मिलन का मंच बनकर भी उभरा है.
जयपुर साहित्य उत्सव के बारे में:
• जयपुर साहित्य उत्सव वार्षिक उत्सव है.
• यह उत्सव जयपुर में प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है.
• इसका आयोजन प्रतिवर्ष 21 से 25 जनवरी को होता हैं.
• जयपुर साहित्य उत्सव की शुरुआत पहली बार वर्ष 2006 में डिग्गी पैलेस में हुई थी.
• पहली बार इस उत्सव में 18 साहित्यकारों ने शिरकत की. लेकिन धीरे-धीरे साहित्य उत्सव ने पंख फैलाये तो 18 एकड़ में फैला रियासती दौर का डिग्गी पैलेस छोटा नजर आने लगा.
• साहित्य उत्सव के बढ़ते दायरे को देख कर समय के साथ आयोजन स्थल में जगह के लिए कुछ बदलाव किए गए और जरूरतों के मुताबिक ढाला गया.
• यह विश्व का सबसे बड़ा इस तरह का साहित्य उत्सव है.
• डिग्गी पैलेस का यह आयोजन अब तक 1300 वक्ताओं एवं लगभग 12 लाख लोगों की मेजबानी कर चुका है.
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