केरल विधानसभा चुनावों के 19 मई 2016 को घोषित परिणामों के अनुसार 91 वर्षीय वीएस अच्युतानंदन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे. उनकी पार्टी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 140 में से 84 सीटें जीतीं.
वर्ष 2011 में एलडीएफ को 68 सीटें मिली थीं जबकि 2016 में 12 सीटों की बढ़ोतरी दर्ज की गयी.
इसके अतिरिक्त कांग्रेस समर्थित यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को निराशाजनक परिणाम देखने पड़े. उन्हें 47 सीटें प्राप्त हुईं जो कि वर्ष 2011 से 23 कम हैं.
परिणाम
पार्टी | नतीजा |
भारतीय जनता पार्टी | 1 |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया | 19 |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) | 58 |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 22 |
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी | 2 |
भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग | 18 |
जनता दल (सेक्युलर) | 3 |
केरल कांग्रेस (एम) | 6 |
कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी केरल राज्य समिति | 1 |
कांग्रेस (सेक्युलर) | 1 |
केरल कांग्रेस (जैकब) | 1 |
केरल कांग्रेस (बी) | 1 |
नेशनल सेक्युलर कांन्फ्रेस | 1 |
स्वतंत्र | 6 |
कुल | 140 |
बीजेपी ने केरल में खाता खोला
भारतीय जनता पार्टी ने केरल के नेमोम में सीट जीतकर राज्य में अपना खाता खोला. इस सीट पर 86 वर्षीय पूर्व केन्द्रीय मंत्री ओ राजगोपाल ने 8000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. वे 140 सदस्यों वाली केरल विधानसभा के पहले एमएलए होंगे.
उन्हें राज्य में उनकी ईमानदार एवं समाजसेवी छवि के कारण जीत प्राप्त हुई.
सत्ता विरोधी कारक
कांग्रेस के मुख्यमंत्री ओमान चांडी के सत्ता विरोधी कारकों के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी जनता में उनकी नकारात्मक छवि तैयार की.
हाल ही में राज्य में हुए बलात्कार के वीभत्स मामले तथा दलित छात्र के साथ हुए अत्याचार भी पार्टी की हार का कारण बने.
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