भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी ट्रिगर सूची से लाभप्रदता पैरामीटर को बाहर करने के लिए 03 नवंबर, 2021 को अपने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई ढांचे (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन - PCA) फ्रेमवर्क में संशोधन किया है.
प्रमुख पॉइंट्स
इसके वर्ष, 2017 के फ्रेमवर्क में कैपिटल, एजेट क्वालिटी और लाभप्रदता निगरानी के प्रमुख क्षेत्र थे.
RBI के हाल के PCA संशोधन में राउंड कैपिटल, एजेट क्वालिटी और लेवरेज प्रमुख क्षेत्र होंगे.
RBI ने कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात में कमी के स्तर को भी संशोधित किया है. यह ऋणदाता को "जोखिम सीमा तीन" श्रेणी में डाल देगा. इस जोखिम सीमा का उल्लंघन करने वाले ऋणदाताओं को कड़े PCA प्रतिबंधों के तहत रखा जाएगा.
RBI के PCA का उद्देश्य क्या है?
उचित समय पर पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को सक्षम करने के उद्देश्य से RBI द्वारा यह PCA ढांचा तैयार किया गया है. इसकी वित्तीय स्थिति को बहाल करने के लिए पर्यवेक्षित इकाई को समयबद्ध तरीके से उपचारात्मक उपायों को लागू करने होंगे.
RBI के PCA फ्रेमवर्क के बारे में जानकारी
RBI द्वारा यह PCA फ्रेमवर्क दिसंबर, 2002 में पेश किया गया था. यह प्रभावी बाजार अनुशासन के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है. इन विनियमों को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के कार्यकारी समूह की सिफारिशों पर अप्रैल, 2017 में संशोधित किया गया था. इस ढांचे/ फ्रेमवर्क के तहत, RBI कमजोर वित्तीय मैट्रिक्स वाले बैंकों पर नजर रखता है. इसका उद्देश्य भारत के बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित आस्तियों (NPAs) की समस्याओं की जांच करना है. यह किसी भी बैंक के आर्थिक संकट की स्थिति में होने पर इसके नियामक, निवेशकों और जमाकर्ताओं को सतर्क करने में मदद करता है.
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PCA फ्रेमवर्क के तहत शामिल बैंक
RBI का यह PCA फ्रेमवर्क केवल वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है. सहकारी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) इसके अंतर्गत नहीं आती हैं.
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