लक्ष्मी विलास बैंक तथा इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के विलय को हाल ही में मंजूरी प्रदान की गई है. विलय के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के मंजूर योजना के तहत बैंक के शेयरधारकों को प्रति 100 शेयर के बदले इंडियाबुल्स के 14 शेयर मिलेंगे.
गौरतलब है कि इससे पूर्व वर्ष 2014 में भी लक्ष्मी विलास बैंक ने इंडियाबुल्स के साथ विलय की घोषणा की थी लेकिन उस समय भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस विलय को नामंजूर कर दिया था.
लक्ष्मी विलास बैंक एवं इंडियाबुल्स विलय
- विलय की गई इकाई का नाम इंडियाबुल्स लक्ष्मी विलास बैंक होगा और आकार में भारत के शीर्ष आठ निजी बैंकों में शामिल होगा.
- इसका ग्रॉस एनपीए 3.5% और नेट एनपीए 2% होगा जबकि सीआरआर 20.6% होगा. इसमें से 14.4% सीईटी 1 कैपिटल होगा.
- इंडियाबुल्स के संस्थापक और अध्यक्ष समीर गहलोत की हिस्सेदारी 21.5 प्रतिशत से घटकर 19.5 प्रतिशत और विलय से प्रभावी होने से पहले 15 प्रतिशत से नीचे आ जाएगी. गहलोत द्वारा विलय के पश्चात् इकाई के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने की संभावना है.
- इंडियाबुल्स के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गगन बंगा और एलवीबी के प्रबंध निदेशक पार्थसारथी मुखर्जी संयुक्त प्रबंध निदेशक होंगे.
- इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस ने आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस एस मुंद्रा की अध्यक्षता में रि-ऑर्गनाइजेशन कमिटी का गठन किया है, जो इस विलय की प्रक्रिया को पूरा कराने का काम करेंगे.
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विलय पश्चात् आंकड़े | |
शेयर स्वैप रेशो | 0.14:1 |
कुल मूल्य | रु. 19,472 करोड़ |
लोन बुक | रु. 123,393 करोड़ |
कर्मचारियों की संख्या | रु. 14,300 से अधिक |
जमाराशि | रु. 30,787 करोड़ |
दोनों कम्पनियों को विलय का लाभ
इस विलय से इंडियाबुल्स और लक्ष्मी विलास बैंक दोनों को लाभ होगा. अब इंडियाबुल्स को सस्ता डिपॉजिट हासिल होगा जिससे कंपनी को लंबे समय के लिए बेहतर विकास मिल सकेगा. विदित हो कि इससे पहले बंधन बैंक के साथ गृह फाइनैंस का विलय हो चुका है, जो नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनी है.
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