भारत-चीन सीमा विवाद के समाप्त होते ही भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के लिए चीनी भाषा सीखने का अभियान आरंभ किया गया. आईटीबीपी ने जवानों को चीन में बोली जाने वाली मंदारिन तथा तिब्बत की स्थानीय बोली का प्रशिक्षण दिया जायेगा.
इस अभियान का उद्देश्य आईटीबीपी और चीन के सैनिकों के मध्य संवाद कायम करना है. इसके अतिरिक्त सीमा पर चीनी सैन्य अधिकारियों की भाषा को समझना भी इसका उद्देश्य है.
मुख्य बिंदु
• आईटीबीपी मसूरी स्थित एक प्रशिक्षण संस्थान में एक विभाग आरंभ कर रहा है जिसमें चीनी भाषा जानने वाले अधिकारियों और जवानों की तैनाती शुरू की जा चुकी है.
• आईटीबीपी द्वारा मंदारिन का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके जवानों को विभिन्न चरणों में सीमा पर तैनात किया जायेगा.
• पहले चरण में उन 12 जवानों को सीमा पर भेजा जायेगा जिन्होंने मंदारिन का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया हो.
• वर्तमान समय में 200 से 250 अधिकारी और जवान जेएनयू से चीनी भाषा सीख चुके हैं.
• चीनी भाषा जानने वाले इन अधिकारियों और जवानों को आईटीबीपी ने सीमा पर अलग-अलग जगहों पर तैनात किया है.
• चीनी भाषा न समझ पाने के कारण भारतीय जवान अपने वरिष्ठ अधिकारियों को चीनी सैनिकों की बातचीत की सूचना देने में असमर्थ होते हैं.
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)
भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) भारतीय अर्धसैनिक बल है. इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1962 में भारत-तिब्बत सीमा की चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से रक्षा हेतु की गई थी. ये बल इस सीमा पर काराकोरम दर्रा से लिपुलेख दर्रा और भारत-नेपाल-चीन पर 2115 किलोमीटर की लंबाई पर फैली सीमा की रक्षा करता है.
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