लोकसभा में 02 अगस्त 2018 को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया. लोकसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंजूरी प्रदान की गई.
लोकसभा ने राज्यसभा द्वारा विधेयक में किए गए संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन तथा और संशोधनों के साथ ‘संविधान संशोधन (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया.
मुख्य तथ्य
• सदन में मतविभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया. विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा.
• सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
• लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया. विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में उपस्थित थे.
• इससे पहले बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब द्वारा पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया.
• केंद्र सरकार ने मार्च 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीएसईबीसी) के गठन को मंजूरी दी गई थी.
ओबीसी आयोग की विशेषताएं |
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग सिविल कोर्ट की शक्तियों से लैस होगा. इस शक्ति से वह आरोपी को समन कर सकता है तथा सज़ा भी सुना सकता है. यह उसी तरह कार्य करेगा जैसे कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग करता है. ओबीसी में शामिल जातियों पर यदि उससे उच्च जाति का व्यक्ति अत्याचार करता है और उसकी पुलिस सुनवाई नहीं करती है तो वह आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है. ओबीसी जाति के आधार पर यदि उससे नौकरी में कोई भेदभाव होता है तो वह आयोग जा सकता है. उसे उसी तरह की सहायता मिलेगी जैसे अनुसूचित जाति आयोग में दलितों को मिलती है. |
ओबीसी आयोग का गठन
• भारत के संविधान और लोकसभा द्वारा यथापारित तथा संशोधन के साथ राज्यसभा द्वारा लौटाए गए विधेयक में पृष्ठ एक की पंक्ति एक में ‘अड़सठवें’ के स्थान पर ‘उनहत्तरवें’ शब्द प्रतिस्थापित करने की बात कही गई है.
• इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक नया आयोग होगा.
• संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अध्यधीन आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे .
• इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें एवं पदावधि ऐसी होगी जो राष्ट्रपति नियम द्वारा अवधारित करे.
• आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation