लोकसभा ने 02 दिसंबर 2019 को कराधान कानून (संशोधन) विधेयक-2019 पारित कर दिया. यह विधेयक आयकर कानून में बदलाव हेतु लाया गया है. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य घरेलू कंपनियों हेतु कर दर विकल्पों को कम करना है तथा उत्पादन क्षेत्र में नए निवेश को आकर्षित करना है.
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को सदन में पेश किया. यह विधेयक आयकर अधिनियम 1961 व वित्त (नंबर 2) अधिनियम 2019 में संशोधन हेतु है. यह विधेयक कॉर्पोरेट टैक्स दरों को कम करने हेतु सितंबर 2019 में राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश का स्थान लेगा.
अध्यादेश ने देश में कारपोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत और नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों हेतु 15 प्रतिशत की दर करने का घोषणा किया था. इसका लाभ उठाने वाली कंपनियों को दूसरी कोई भी छूट नहीं मिलेगी.
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कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2019: मुख्य विशेषताएं
• विधेयक घरेलू कंपनियों को 22 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करने का विकल्प प्रदान करता है. वर्तमान में 400 करोड़ रुपये तक की सालाना कारोबार वाली घरेलू कंपनियां 25 प्रतिशत की दर से आयकर का भुगतान करती हैं. दूसरी घरेलू कंपनियों हेतु कर दर 30 प्रतिशत है.
• इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई कंपनी मीडिया में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास से जड़ी हो, खनन, संगमरमर या इस जैसे किसी पदार्थ से स्लैब बनाने, पुस्तकों के प्रकाशन या सिनेमा निर्माण से जुड़ी है तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा.
• अध्यादेश को बदलने के लिए कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 को 25 नवंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था.
• इस विधेयक में नई घरेलू विनिर्माण कम्पनियों को 15 प्रतिशत आय कर देने का विकल्प उपलब्ध कराया गया है. टैक्स नई दरों का विकल्प चुनने वाली कम्पनियों पर न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स भुगतान संबंधी प्रावधान लागू नहीं होंगे.
• कोई भी कम्पनी वित्त वर्ष 2019-20 या भविष्य में किसी अन्य वित्त वर्ष में टैक्स की नई दर चुन सकती है. यह विकल्प चुनने के बाद कम्पनी पर अन्य सभी वर्षों में नया टैक्स सिस्टम लागू होगा.
• सरकार ने सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में 10 प्रतिशत कमी की घोषणा की थी और यह 28 सालों में सबसे ज्यादा कमी की गई थी.
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